हाईकोर्ट : अधिसूचना पर रोक के बारे में राज्य सरकार से जवाब तलब

0
20

[ad_1]

(सांकेतिक तस्वीर)

(सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद नगर निगम चुनाव को लेकर 5 नवंबर 22 को जारी वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा, उप्र नगरपालिका अधिनियम की धारा 11बी (2) के अंतर्गत परिसीमन की अधिसूचना में आपत्ति दाखिल करने के लिए न्यूनतम सात दिन का समय मिलना चाहिए। 

किंतु इस अधिसूचना से आपत्ति दाखिल करने के लिए केवल दो दिन दिए गए। उसमें से भी एक दिन रविवार था। कोर्ट ने कहा, सरकार चाहे तो नई अधिसूचना जारी कर सकती है। याचिका की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दर्शन सिंह की याचिका पर दिया है।

याची का कहना है कि कानून के तहत वार्ड परिसीमन पर आपत्ति के लिए सात दिन का समय दिया जाना चाहिए। दो दिन देने से तमाम लोग आपत्ति नहीं कर सके। सरकार की ओर से कहा गया कि इससे पहले 14 सितंबर 22 को अधिसूचना जारी की गई थी। आपत्ति के लिए सात दिन का समय दिया गया था, उसमें कुछ खामी थी। इसलिए यह अधिसूचना दोबारा जारी की गई है। 

कोर्ट ने इस तर्क को यह कहते हुए सही नहीं माना कि पहली अधिसूचना में 60 वार्ड थे।जबकि प्रश्नगत अधिसूचना में केवल 55वार्ड ही शामिल हैं, जो कानून की आवश्यकता को पूरी नहीं करता। कोर्ट ने 5नवंबर 22 की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए इसके आधार पर किसी भी कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है।

यह भी पढ़ें -  दलदल में दिखाई दिलेरी: अपनी जान जोखिम में डाल बुजुर्ग को बचाया, आगरा के सिपाही को एडीजी करेंगे सम्मानित

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद नगर निगम चुनाव को लेकर 5 नवंबर 22 को जारी वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा, उप्र नगरपालिका अधिनियम की धारा 11बी (2) के अंतर्गत परिसीमन की अधिसूचना में आपत्ति दाखिल करने के लिए न्यूनतम सात दिन का समय मिलना चाहिए। 

किंतु इस अधिसूचना से आपत्ति दाखिल करने के लिए केवल दो दिन दिए गए। उसमें से भी एक दिन रविवार था। कोर्ट ने कहा, सरकार चाहे तो नई अधिसूचना जारी कर सकती है। याचिका की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दर्शन सिंह की याचिका पर दिया है।

याची का कहना है कि कानून के तहत वार्ड परिसीमन पर आपत्ति के लिए सात दिन का समय दिया जाना चाहिए। दो दिन देने से तमाम लोग आपत्ति नहीं कर सके। सरकार की ओर से कहा गया कि इससे पहले 14 सितंबर 22 को अधिसूचना जारी की गई थी। आपत्ति के लिए सात दिन का समय दिया गया था, उसमें कुछ खामी थी। इसलिए यह अधिसूचना दोबारा जारी की गई है। 

कोर्ट ने इस तर्क को यह कहते हुए सही नहीं माना कि पहली अधिसूचना में 60 वार्ड थे।जबकि प्रश्नगत अधिसूचना में केवल 55वार्ड ही शामिल हैं, जो कानून की आवश्यकता को पूरी नहीं करता। कोर्ट ने 5नवंबर 22 की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए इसके आधार पर किसी भी कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है।



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here