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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहजहांपुर के कांठ थाने के इंचार्ज विवेचना अधिकारी चंदन कुमार को आपराधिक अवमानना का दोषी करार दिया है और जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना करने 14 दिन की कैद व एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न जमा करने पर एक हफ्ते अतिरिक्त जेल काटनी होगी। कोर्ट ने हाजिर विवेचना अधिकारी को सीधे जेल न भेजकर आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने का वक्त देते हुए सजा के अमल पर 60 दिन की रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति वाईडब्ल्यू मियां की खंडपीठ ने दिया है।
मामले में विवेचना अधिकारी का कहना था कि वही परिवार का पालक है। युवा अधिकारी है। बिना शर्त माफी मांगी है। सजा देने से पूरा कैरियर प्रभावित होगा। सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाय। कोर्ट ने कहा कि उसने गिरफ्तार करने की शक्ति का दुरूपयोग किया है। सुप्रीम कोर्ट के अर्नेश कुमार केस के फैसले की अनदेखी की है, जो सभी पर बाध्यकारी है।
माफी सहृदय से नहीं दंड से बचने के लिए मांगी गई है। कोर्ट ने माफी स्वीकार नहीं की। कोर्ट ने कहा उसने एफआईआर अधिकारियों के दबाव में दर्ज की। अपने आप नहीं की। गिरफ्तार करने गया तो कहा कि ऐसा करने से सांप्रदायिक दंगा भड़क सकता था। कोर्ट ने कहा सहानुभूति देकर छोड़ने से लोकहित व न्याय हित की पूर्ति नहीं होगी। न्यायिक प्रक्रिया से भरोसा उठ जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव उप्र शिक्षा परिषद प्रयागराज को स्पष्टीकरण के साथ 25 अगस्त को पेश होने का निर्देश दिया है और कहा है कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोर्ट के कार्रवाई के आदेश के बावजूद बिना मान्यता के मैनपुरी में जूनियर हाईस्कूल चल रहा है। ऐक्शन न लेने के कारण अवमानना का केस बनता है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शिवनाथ दूबे की अवमानना याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने बीएसए मैनपुरी को जांच कर गैर मान्यता मैनपुरी में चल रहे स्कूलों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। बीएसए ने बताया कि सचिव को पत्र लिखा। राजनारायण पूर्व माध्यमिक विद्यालय पैरारशाहपुर मैनपुरी की मान्यता वापस लेने की अनुमति मांगी। सचिव ने कोई कार्रवाई नहीं की। तीन बार अनुस्मारक भेजे गए। स्कूल चल रहा है। अध्यापक स्टाफ वेतन सरकार से ले रहे हैं।जिसे कोर्ट ने अवमाननाकारी माना।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहजहांपुर के कांठ थाने के इंचार्ज विवेचना अधिकारी चंदन कुमार को आपराधिक अवमानना का दोषी करार दिया है और जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना करने 14 दिन की कैद व एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न जमा करने पर एक हफ्ते अतिरिक्त जेल काटनी होगी। कोर्ट ने हाजिर विवेचना अधिकारी को सीधे जेल न भेजकर आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने का वक्त देते हुए सजा के अमल पर 60 दिन की रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति वाईडब्ल्यू मियां की खंडपीठ ने दिया है।
मामले में विवेचना अधिकारी का कहना था कि वही परिवार का पालक है। युवा अधिकारी है। बिना शर्त माफी मांगी है। सजा देने से पूरा कैरियर प्रभावित होगा। सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाय। कोर्ट ने कहा कि उसने गिरफ्तार करने की शक्ति का दुरूपयोग किया है। सुप्रीम कोर्ट के अर्नेश कुमार केस के फैसले की अनदेखी की है, जो सभी पर बाध्यकारी है।
माफी सहृदय से नहीं दंड से बचने के लिए मांगी गई है। कोर्ट ने माफी स्वीकार नहीं की। कोर्ट ने कहा उसने एफआईआर अधिकारियों के दबाव में दर्ज की। अपने आप नहीं की। गिरफ्तार करने गया तो कहा कि ऐसा करने से सांप्रदायिक दंगा भड़क सकता था। कोर्ट ने कहा सहानुभूति देकर छोड़ने से लोकहित व न्याय हित की पूर्ति नहीं होगी। न्यायिक प्रक्रिया से भरोसा उठ जाएगा।
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