हाईकोर्ट : उच्च न्यायालय के आदेश के 11 साल बाद अध्यापक की बर्खास्तगी पर रोक, सरकार से जवाब तलब

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 16 Apr 2022 01:02 AM IST

सार

याची का कहना है कि उसे नियुक्ति से 22 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया है। राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर की शिक्षा अलंकार डिग्री को हाईकोर्ट ने विनोद कुमार उपाध्याय केस में 2011 में  अमान्य घोषित कर इस डिग्री के आधार पर नियुक्त सभी अध्यापकों को हटाने का निर्देश दिया था।

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा महाराजगंज के अध्यापक गोविंद प्रसाद द्विवेदी की सेवा समाप्ति आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही याची अध्यापक को कार्य करने देने तथा वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। मामले में राज्य सरकार सहित विपक्षियों से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई जुलाई 2022 में होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने गोविंद प्रसाद द्विवेदी की याचिका पर दिया है।

याची का कहना है कि उसे नियुक्ति से 22 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया है। राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर की शिक्षा अलंकार डिग्री को हाईकोर्ट ने विनोद कुमार उपाध्याय केस में 2011 में  अमान्य घोषित कर इस डिग्री के आधार पर नियुक्त सभी अध्यापकों को हटाने का निर्देश दिया था।

इसी आदेश के आधार पर 22 साल पहले नियुक्त याची की सेवा समाप्त कर दी गई। शिक्षा निदेशक ने वजह नहीं बताई कि सेवा समाप्त करने में 11 साल क्यों लगे। सेवा समाप्ति आदेश नौ फरवरी 2022 की वैधता को चुनौती दी गई है।

याची का कहना है कि वह नियमित कर दिया गया है। उसे इंटर मीडिएट एक्ट की धारा 16 ई (10 )के तहत बर्खास्त किया गया है। आशा सक्सेना केस में पूर्णपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि उचित समयावधि में आदेश दिया जाना चाहिए। शिक्षा निदेशक ने नहीं बताया कि समय रहते आदेश क्यों नहीं दिया।

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विस्तार

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा महाराजगंज के अध्यापक गोविंद प्रसाद द्विवेदी की सेवा समाप्ति आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही याची अध्यापक को कार्य करने देने तथा वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। मामले में राज्य सरकार सहित विपक्षियों से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई जुलाई 2022 में होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने गोविंद प्रसाद द्विवेदी की याचिका पर दिया है।

याची का कहना है कि उसे नियुक्ति से 22 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया है। राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर की शिक्षा अलंकार डिग्री को हाईकोर्ट ने विनोद कुमार उपाध्याय केस में 2011 में  अमान्य घोषित कर इस डिग्री के आधार पर नियुक्त सभी अध्यापकों को हटाने का निर्देश दिया था।

इसी आदेश के आधार पर 22 साल पहले नियुक्त याची की सेवा समाप्त कर दी गई। शिक्षा निदेशक ने वजह नहीं बताई कि सेवा समाप्त करने में 11 साल क्यों लगे। सेवा समाप्ति आदेश नौ फरवरी 2022 की वैधता को चुनौती दी गई है।

याची का कहना है कि वह नियमित कर दिया गया है। उसे इंटर मीडिएट एक्ट की धारा 16 ई (10 )के तहत बर्खास्त किया गया है। आशा सक्सेना केस में पूर्णपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि उचित समयावधि में आदेश दिया जाना चाहिए। शिक्षा निदेशक ने नहीं बताया कि समय रहते आदेश क्यों नहीं दिया।

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