हाईकोर्ट: एक ही मामले में दो प्राथमिकी न्यायिक प्रणाली की अनियमितता, एफआईआर रद्द करने का आदेश

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Irregularity of judicial system in two FIRs in the same case, order to cancel the FIR

high court
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर में एक ही मामले की दो प्राथमिकी दर्ज होने को लेकर न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग बताया है। कोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान की धारा 226/227 के तहत या सीआरपीसी की धारा ४८२ के तहत उसे इसमें हस्तक्षेप की शक्ति प्राप्त है, जिससे कि विधिक प्रक्रिया के दुरूपयोग को रोका जा सके।

कोर्ट ने याची के खिलाफ जौनपुर के सिकरारा थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने राजकुमार व 11 अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों को सुनने के बाद यह साफ है कि याची के खिलाफ एक ही घटना में पहली प्राथमिकी 21 अगस्त 2020 में और दूसरी प्राथमिकी 156( 3) के तहत दूसरी प्राथमिकी सात दिसंबर 2022 को दर्ज की गई। रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि थाने ने मजिस्ट्रेट को सही रिपोर्ट नहीं दी।

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इस वजह से मजिस्ट्रेट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे दिया। अगर पुलिस सही जानकारी देती तो विवादित प्राथमिकी अस्तित्व में नहीं आती। संबंधित पुलिस थाने द्वारा अग्रेषित की गई गलत और भ्रामक सूचना के आधार पर दूसरी बार की प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसलिए इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता है और इसे रद्द किया जा सकता है।

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