हाईकोर्ट का अहम निर्णय : आश्रित परिवार की देखरेख न करने पर ले सकते हैं नियुक्ति वापस

0
18

[ad_1]

allahabad high court

allahabad high court
– फोटो : social media

ख़बर सुनें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज को आश्रित कोटे में नियुक्त सदस्य द्वारा अन्य सदस्यों की देखरेख की जिम्मेदारी पूरी न करने के मामले में तीन माह में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि सभी आश्रितों के हित पूरे नहीं करने की स्थिति हो तो वह आश्रित विपक्षी की नियुक्ति को वापस भी ले सकता है।

याचियों का कहना था कि विपक्षी को इस आश्वासन पर नियुक्ति दी गई थी कि वह याचियों की भी देखभाल करेगी। किंतु वह अपने वायदे का पालन नहीं कर रही है। जिस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने प्रयागराज की सुधा शर्मा व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

याचीगण का कहना था कि उनके पिता रेलवे कर्मचारी थे। सेवाकाल में मौत के कारण विपक्षी की आश्रित कोटे में नियुक्ति की गई। याची वृद्ध है। विपक्षी ने उनकी देखभाल करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा आश्रित की नियुक्ति वारिसों के लाभ के लिए की जाती है। ताकि, अचानक आई विपत्ति से उबर सके। कोर्ट ने याचीगण को रेलवे अधिकारी को अपनी शिकायत लिखे और वह उनकी परेशानियों पर विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है।

यह भी पढ़ें -  UP Police Constable Recruitment 2022: क्या यूपी पुलिस की सिपाही भर्ती में विवाहित महिला उम्मीदवार नहीं कर सकेंगी आवेदन, जानिए क्या है इससे जुड़ा पूरा नियम

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज को आश्रित कोटे में नियुक्त सदस्य द्वारा अन्य सदस्यों की देखरेख की जिम्मेदारी पूरी न करने के मामले में तीन माह में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि सभी आश्रितों के हित पूरे नहीं करने की स्थिति हो तो वह आश्रित विपक्षी की नियुक्ति को वापस भी ले सकता है।

याचियों का कहना था कि विपक्षी को इस आश्वासन पर नियुक्ति दी गई थी कि वह याचियों की भी देखभाल करेगी। किंतु वह अपने वायदे का पालन नहीं कर रही है। जिस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने प्रयागराज की सुधा शर्मा व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

याचीगण का कहना था कि उनके पिता रेलवे कर्मचारी थे। सेवाकाल में मौत के कारण विपक्षी की आश्रित कोटे में नियुक्ति की गई। याची वृद्ध है। विपक्षी ने उनकी देखभाल करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा आश्रित की नियुक्ति वारिसों के लाभ के लिए की जाती है। ताकि, अचानक आई विपत्ति से उबर सके। कोर्ट ने याचीगण को रेलवे अधिकारी को अपनी शिकायत लिखे और वह उनकी परेशानियों पर विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है।



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here