हाईकोर्ट : गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में मां दुर्गा के मूर्ति विसर्जन आदेश के पालन के लिए जनहित याचिका

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मां दुर्गा मूर्ति विसर्जन गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में करने की अनुमति की मांग में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज से जानकारी मांगी है। याचिका की सुनवाई 28 सितंबर को होगी। इससे पहले बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॉ. पीके राय एवं समाजसेवी  योगेन्द्र कुमार पांडेय द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था। जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। डॉ. पीके राय व अन्य की जनहित याचिका की न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की। याचिका पर अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा ने बहस की।

कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वे जिला प्रशासन से जानकारी लेकर एक सप्ताह के भीतर न्यायालय को अवगत कराएं। मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर 22 नियत की गई है। याची का कहना है कि मूर्ति विसर्जन पहले सरस्वती घाट में हुआ करता था। लेकिन, वर्ष 2014 में गंगा और यमुना में प्रदूषण न हो कोर्ट ने प्रदेश के 26 जिलों में जहां गंगा बहती हैं और प्रमुख रूप से प्रयागराज में गंगा के किनारे कृत्रिम तालाब बनाकर तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार मां दुर्गा के मूर्तियों का विसर्जन करने का आदेश दिया था तथा वर्ष 2015 डॉ. पीके राय के जनहित याचिका पर बांध के नीचे काली सड़क पर गंगा के किनारे कृत्रिम तलाब बनाकर मूर्तियों का विसर्जन कराए गया।

2018 तक मूर्तियों का विसर्जन गंगा के किनारे कृत्रिम तलाब में कराया गया और  इसके आदेश का उलंघन करते हुए मूर्तियों का विसर्जन अंदावां मे  तालाब में कराया गया। जिसे लेकर के तत्कालीन जिलाधिकारी भानू चंद्र गोस्वामी के खिलाफ अवमानना याचिका भी लंबित है। मां नवरात्र के प्रथम दिन बेटी के रूप में आती है और विसर्जन के बाद शांति जल एकत्र करने पर दुर्गा पूजा समारोह संपन्न होता है।

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मां दुर्गा मूर्ति विसर्जन गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में करने की अनुमति की मांग में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज से जानकारी मांगी है। याचिका की सुनवाई 28 सितंबर को होगी। इससे पहले बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॉ. पीके राय एवं समाजसेवी  योगेन्द्र कुमार पांडेय द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था। जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। डॉ. पीके राय व अन्य की जनहित याचिका की न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की। याचिका पर अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा ने बहस की।

कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वे जिला प्रशासन से जानकारी लेकर एक सप्ताह के भीतर न्यायालय को अवगत कराएं। मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर 22 नियत की गई है। याची का कहना है कि मूर्ति विसर्जन पहले सरस्वती घाट में हुआ करता था। लेकिन, वर्ष 2014 में गंगा और यमुना में प्रदूषण न हो कोर्ट ने प्रदेश के 26 जिलों में जहां गंगा बहती हैं और प्रमुख रूप से प्रयागराज में गंगा के किनारे कृत्रिम तालाब बनाकर तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार मां दुर्गा के मूर्तियों का विसर्जन करने का आदेश दिया था तथा वर्ष 2015 डॉ. पीके राय के जनहित याचिका पर बांध के नीचे काली सड़क पर गंगा के किनारे कृत्रिम तलाब बनाकर मूर्तियों का विसर्जन कराए गया।

2018 तक मूर्तियों का विसर्जन गंगा के किनारे कृत्रिम तलाब में कराया गया और  इसके आदेश का उलंघन करते हुए मूर्तियों का विसर्जन अंदावां मे  तालाब में कराया गया। जिसे लेकर के तत्कालीन जिलाधिकारी भानू चंद्र गोस्वामी के खिलाफ अवमानना याचिका भी लंबित है। मां नवरात्र के प्रथम दिन बेटी के रूप में आती है और विसर्जन के बाद शांति जल एकत्र करने पर दुर्गा पूजा समारोह संपन्न होता है।

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