हाईकोर्ट : घूस लेने के मामले में लेखपाल को नहीं मिली राहत, न्यायालय ने रद्द की याचिका रद्द

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 26 Feb 2022 12:11 AM IST

सार

मामले में याची (लेखपाल) पर आरोप है कि उसने दो भाइयों को हिस्सेदारी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए आठ हजार रुपये घूस लिए। जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी है। याची पर घूस लेने के आरोप में हापुड़ के धलौना थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामला ट्रायल कोर्ट में विचाराधीन है।

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हिस्सेदारी प्रमाणपत्र जारी करने में घूस लेने के आरोपी लेखपाल को हाईकोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामला प्रथम दृष्टया घूस लेने का प्रतीत हो रहा है। लिहाजा, आपराधिक कार्रवाई को रद्द नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने सत्येंद्र सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

मामले में याची (लेखपाल) पर आरोप है कि उसने दो भाइयों को हिस्सेदारी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए आठ हजार रुपये घूस लिए। जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी है। याची पर घूस लेने के आरोप में हापुड़ के धलौना थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामला ट्रायल कोर्ट में विचाराधीन है।

याची ने इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है। कोर्ट में याची के अधिवक्ता ने कहा कि याची का उत्पीड़न करने के लिए ऐसा किया गया है। वह मामले में दोषी नहीं है लेकिन, सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। इस पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। 

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विस्तार

हिस्सेदारी प्रमाणपत्र जारी करने में घूस लेने के आरोपी लेखपाल को हाईकोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामला प्रथम दृष्टया घूस लेने का प्रतीत हो रहा है। लिहाजा, आपराधिक कार्रवाई को रद्द नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने सत्येंद्र सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

मामले में याची (लेखपाल) पर आरोप है कि उसने दो भाइयों को हिस्सेदारी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए आठ हजार रुपये घूस लिए। जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी है। याची पर घूस लेने के आरोप में हापुड़ के धलौना थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामला ट्रायल कोर्ट में विचाराधीन है।

याची ने इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है। कोर्ट में याची के अधिवक्ता ने कहा कि याची का उत्पीड़न करने के लिए ऐसा किया गया है। वह मामले में दोषी नहीं है लेकिन, सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। इस पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। 

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