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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 02 Mar 2022 10:56 PM IST
सार
याची का तर्क था कि वह ग्रुप एडमिन है। उसने प्रधानमंत्री का रूपांतरित फोटो ग्रुप में नहीं डाला है। यह फोटो ग्रुप के एक सदस्य निजाम आलम ने डाला है। वह ग्रुप केसदस्य के कृत्य केलिए दोषी नहीं हो सकता है। लिहाजा, उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईटी एक्ट के तहत व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। एडमिन के ग्रुप में एक सदस्य ने प्रधानमंत्री मोदी का रूपांतरित फोटो डाल दिया था।
इसे लेकर आईटी एक्ट की धारा-66 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसे चुनौती देते हुए याची ग्रुप एडमिन ने हाईकोर्ट में इस आपराधिक प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी।
मोहम्मद इमरान मलिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश हाईकोर्ट ने दिया है। याची का तर्क था कि वह ग्रुप एडमिन है। उसने प्रधानमंत्री का रूपांतरित फोटो ग्रुप में नहीं डाला है। यह फोटो ग्रुप के एक सदस्य निजाम आलम ने डाला है। वह ग्रुप केसदस्य के कृत्य केलिए दोषी नहीं हो सकता है। लिहाजा, उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए।
सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि याची ग्रुप एडमिन है। वह अपराध में बराबर का भागीदार है। कोर्ट ने कहा कि याची ग्रुप एडमिन है। वह भी गलत संदेश के लिए जिम्मेदार है। कोर्ट इस आधार पर याचिका खारिज कर दी।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईटी एक्ट के तहत व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। एडमिन के ग्रुप में एक सदस्य ने प्रधानमंत्री मोदी का रूपांतरित फोटो डाल दिया था।
इसे लेकर आईटी एक्ट की धारा-66 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसे चुनौती देते हुए याची ग्रुप एडमिन ने हाईकोर्ट में इस आपराधिक प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी।
मोहम्मद इमरान मलिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश हाईकोर्ट ने दिया है। याची का तर्क था कि वह ग्रुप एडमिन है। उसने प्रधानमंत्री का रूपांतरित फोटो ग्रुप में नहीं डाला है। यह फोटो ग्रुप के एक सदस्य निजाम आलम ने डाला है। वह ग्रुप केसदस्य के कृत्य केलिए दोषी नहीं हो सकता है। लिहाजा, उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए।
सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि याची ग्रुप एडमिन है। वह अपराध में बराबर का भागीदार है। कोर्ट ने कहा कि याची ग्रुप एडमिन है। वह भी गलत संदेश के लिए जिम्मेदार है। कोर्ट इस आधार पर याचिका खारिज कर दी।
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