हाईकोर्ट ने कहा : पत्नी को भरण-पोषण न देने पर मजिस्ट्रेट पहली बार पति के खिलाफ जारी नहीं कर सकते गिरफ्तारी वारंट

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 21 Apr 2022 11:33 PM IST

सार

यह आदेश जस्टिस अजीत सिंह ने विपिन कुमार की याचिका पर दिया है। याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कासगंज के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में पत्नी को भरण-पोषण न दे सकने पर मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी को भरण-पोषण देने के मामले में पति को राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद पत्नी को भरण-पोषण नहीं देने वाले के खिलाफ  मजिस्ट्रेट पहली बार में गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर मजिस्ट्रेट जुर्माने की वसूली को लेकर वारंट जारी कर सकते हैं। इसके साथ ही मजिस्ट्रेट ऐसे मामलों में कुर्की अथवा चल संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकते हैं। मगर पहला वारंट गिरफ्तारी के लिए जारी करना गलत है।

यह आदेश जस्टिस अजीत सिंह ने विपिन कुमार की याचिका पर दिया है। याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कासगंज के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में पत्नी को भरण-पोषण न दे सकने पर मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ  30 नवंबर 2021 को पारित गिरफ्तारी वारंट को स्थापित प्रावधानों के खिलाफ  मानते हुए रद्द कर दिया।

विकलांग होने के कारण पति नहीं कर सका आदेश का पालन

मामले में पत्नी ने अपनी बेटी के साथ कासगंज परिवार न्यायालय में धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने पत्नी की अर्जी को मंजूर कर लिया था और भरण-पोषण भत्ता देने का निर्देश दिया था। पति विकलांग होने के कारण आदेश का पालन न कर सका।

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इस पर मजिस्ट्रेट ने याची के खिलाफ  30 जून 2017 से 19 जनवरी 2020 तक का 1 लाख 65 हजार की बकाया वसूली के लिए गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया। याची मजिस्ट्रेट के 30 नवंबर 2021 के आदेश से जेल भेज दिया गया। उसने प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कासगंज के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पति का कहना था कि बिना जुर्माना लगाए और बिना धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान का पालन किए मजिस्ट्रेट का उसे एक महीने के लिए जेल भेजने का आदेश देना गलत है।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी को भरण-पोषण देने के मामले में पति को राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद पत्नी को भरण-पोषण नहीं देने वाले के खिलाफ  मजिस्ट्रेट पहली बार में गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर मजिस्ट्रेट जुर्माने की वसूली को लेकर वारंट जारी कर सकते हैं। इसके साथ ही मजिस्ट्रेट ऐसे मामलों में कुर्की अथवा चल संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकते हैं। मगर पहला वारंट गिरफ्तारी के लिए जारी करना गलत है।

यह आदेश जस्टिस अजीत सिंह ने विपिन कुमार की याचिका पर दिया है। याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कासगंज के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में पत्नी को भरण-पोषण न दे सकने पर मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ  30 नवंबर 2021 को पारित गिरफ्तारी वारंट को स्थापित प्रावधानों के खिलाफ  मानते हुए रद्द कर दिया।

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