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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के अपर सिटी मजिस्ट्रेट के सास की अर्जी पर बहू व बच्चों को घर से बेदखल करने के आदेश को सही नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट को यह अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के तीन दिसंबर 21 को पारित आदेश को विधि विरुद्ध करार देते हुए रद्द कर दिया है और कहा है कि पक्षकार विचाराधीन सिविल वाद में जारी निषेधाज्ञा आदेश को विखंडित करने की अर्जी दे सकते हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने मेरठ की निवासी भारती गुप्ता की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। याची की ओर से कहा गया कि पिछले 21 साल से मेरठ में अपने ससुर के घर में रहती रही है। मकान ससुर ने बनवाया है। उनकी 31 नवंबर 18 को मौत हो गई। उन्होंने कोई वसीयत नहीं की। उनके पीछे उनकी पत्नी दो बेटों बहू के साथ रह रही थी।
याची के पति विपक्षी के बड़े बेटे पंकज की कोविड के कारण 17 जनवरी 21 को मौत हो गई। इसके बाद याची को सास व देवर परेशान करने लगे तो उसने सिविल वाद दायर कर व्यादेश प्राप्त कर लिया। इसके बाद देवर की शह पर याची को बेदखल करने के लिए सास ने सीनियर सिटीजन एक्ट में अर्जी दी। जिस पर एसीएम ने बेदखली आदेश दिया था। ब्यूरो
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