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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 25 Feb 2022 10:40 PM IST
सार
बृजेश सिंह ने यह दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की है। मामले में मुख्तार अंसारी वादी मुकदमा है। याची की ओर से तर्क दिया गया कि मामले में कोई गवाह नहीं आ रहा है। इसलिए ट्रायल कोर्ट में सुनवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।
विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर हुए हमले के मामले में दाखिल बृजेश सिंह की जमानत अर्जी पर सुनवाई करने से न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता की कोर्ट ने खुद को अलग कर लिया है। कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष भेजकर सुनवाई के लिए दूसरे जज को नामित करने का अनुरोध किया है।
बृजेश सिंह ने यह दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की है। मामले में मुख्तार अंसारी वादी मुकदमा है। याची की ओर से तर्क दिया गया कि मामले में कोई गवाह नहीं आ रहा है। इसलिए ट्रायल कोर्ट में सुनवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।
दूसरे जज से सुनवाई कराने का आग्रह किया
उन्हें जमानत पर छोड़ा जाए। जबकि विपक्षी पक्ष के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय की ओर से तर्क दिया गया कि याची पक्ष ट्रायल पूरा नहीं होने दे रहे हैं। इस पर कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायमूर्ति के पास भेज दिया और कहा कि मुख्य न्यायमूर्ति मामले की सुनवाई के लिए किसी और जज को नामित करें। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 11 मार्च की तारीख लगाई है।
क्या था मामला
मामला 2001 का है। गाजीपुर के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड हुआ था।मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर ट्रक पर सवार होकर आए बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें विधायक का गनर तथा हमलावर पक्ष से एक की मौके पर ही मौत हो गई थी और एक ने बाद में दम तोड़ दिया था।
इसी मामले में मऊ विधायक मुख्तार अंसारी की ओर से बृजेश और त्रिभुवन सिंह के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। बृजेश सिंह ने अपनी इस मामले में पहले भी जमानत अर्जी दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया था।
विस्तार
विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर हुए हमले के मामले में दाखिल बृजेश सिंह की जमानत अर्जी पर सुनवाई करने से न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता की कोर्ट ने खुद को अलग कर लिया है। कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष भेजकर सुनवाई के लिए दूसरे जज को नामित करने का अनुरोध किया है।
बृजेश सिंह ने यह दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की है। मामले में मुख्तार अंसारी वादी मुकदमा है। याची की ओर से तर्क दिया गया कि मामले में कोई गवाह नहीं आ रहा है। इसलिए ट्रायल कोर्ट में सुनवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।
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