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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 17 Mar 2022 12:29 AM IST
सार
कोर्ट ने कहा कि याची के धन वापसी आवेदन को प्रतिवादी द्वारा केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता था। ऐसा कर प्रतिवादी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि माल और सेवा कर (जीएसटी) के तहत धन वापसी आवेदन को केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने गामा गाना लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याची के धन वापसी आवेदन को प्रतिवादी द्वारा केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता था। ऐसा कर प्रतिवादी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है। याची ने अप्रैल से जून 2018, जुलाई से सितंबर 2018 और अक्तूबर से दिसंबर 2018 तक की कर अवधि के लिए रिफंड आवेदन दायर किया, जिसे विभाग ने खारिज कर दिया।
विभाग द्वारा पारित आदेश के अनुसार सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54(1) के तहत रिफंड आवेदन दाखिल करने की सीमा की अवधि सितंबर 2020 में समाप्त हो गई। इसके साथ ही विभाग द्वारा बढ़ाई गई अवधि भी 30 नवंबर 2020 को समाप्त हो गई। याची ने 31 मार्च 2021 को रिफंड आवेदन दाखिल किया, जिसे देरी के आधार पर खारिज कर दिया गया।
याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि 15 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2022 के बीच की अवधि को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी न्यायिक या अर्धन्यायिक संस्थाओं के संबंध में यह निर्देश दिया गया था कि उनके द्वारा किसी वादों में किसी भी सामान्य या विशेष कानून के तहत पारित आदेश निर्धारित सीमा के प्रयोजनों से बाहर रखे जाएं। जीएसटी विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी नहीं माना और आवेदन को मनमाने ढंग से खारिज किया है।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि माल और सेवा कर (जीएसटी) के तहत धन वापसी आवेदन को केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने गामा गाना लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याची के धन वापसी आवेदन को प्रतिवादी द्वारा केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता था। ऐसा कर प्रतिवादी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है। याची ने अप्रैल से जून 2018, जुलाई से सितंबर 2018 और अक्तूबर से दिसंबर 2018 तक की कर अवधि के लिए रिफंड आवेदन दायर किया, जिसे विभाग ने खारिज कर दिया।
विभाग द्वारा पारित आदेश के अनुसार सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54(1) के तहत रिफंड आवेदन दाखिल करने की सीमा की अवधि सितंबर 2020 में समाप्त हो गई। इसके साथ ही विभाग द्वारा बढ़ाई गई अवधि भी 30 नवंबर 2020 को समाप्त हो गई। याची ने 31 मार्च 2021 को रिफंड आवेदन दाखिल किया, जिसे देरी के आधार पर खारिज कर दिया गया।
याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि 15 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2022 के बीच की अवधि को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी न्यायिक या अर्धन्यायिक संस्थाओं के संबंध में यह निर्देश दिया गया था कि उनके द्वारा किसी वादों में किसी भी सामान्य या विशेष कानून के तहत पारित आदेश निर्धारित सीमा के प्रयोजनों से बाहर रखे जाएं। जीएसटी विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी नहीं माना और आवेदन को मनमाने ढंग से खारिज किया है।
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