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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sun, 30 Jan 2022 01:36 AM IST
सार
कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से विलंब से दाखिल विशेष अपील पर प्रतिवादी कर्मचारी को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।
राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रतिवादी सरकारी कर्मचारी पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी ने मामले में सही तथ्य पेश नहीं किया और सरकार को सरकार को जवाब दाखिल करने का मौका दिए बिना याचिका मंजूर हो गई। सरकार ने इस आदेश को भले ही देर से चुनौती दी हो लेकिन उस पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से विलंब से दाखिल विशेष अपील पर प्रतिवादी कर्मचारी को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है। सरकारी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची ने तथ्य छिपाया है और एकलपीठ से आदेश प्राप्त कर लिया है। उसे रद्द किया जाए।
विपक्षी राजेंद्र कुमार वाजपेयी ने याचिका दायर की थी, जो 2010 में खारिज हो गई। इसके खिलाफ विशेष अपील और सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी खारिज हो चुकी है। इन तथ्यों को छिपाकर विपक्षी ने नई याचिका दाखिल की। कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किये बगैर याचिका मंजूर कर ली और याची को सेवानिवृत्ति परिलाभों का ब्याज सहित भुगतान का निर्देश दिया। इसी आदेश को सरकार ने चुनौती दी है।
सरकार का तर्क था कि कोविड के कारण अपील दाखिल करने की सरकार की अनुमति मिलने में देरी हुई है। जिसे माफ किया जाय। विपक्षी का जवाब आने के बाद सरकार को सुनकर देरी माफी अर्जी की सुनवाई होगी।
विस्तार
राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रतिवादी सरकारी कर्मचारी पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी ने मामले में सही तथ्य पेश नहीं किया और सरकार को सरकार को जवाब दाखिल करने का मौका दिए बिना याचिका मंजूर हो गई। सरकार ने इस आदेश को भले ही देर से चुनौती दी हो लेकिन उस पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से विलंब से दाखिल विशेष अपील पर प्रतिवादी कर्मचारी को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है। सरकारी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची ने तथ्य छिपाया है और एकलपीठ से आदेश प्राप्त कर लिया है। उसे रद्द किया जाए।
विपक्षी राजेंद्र कुमार वाजपेयी ने याचिका दायर की थी, जो 2010 में खारिज हो गई। इसके खिलाफ विशेष अपील और सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी खारिज हो चुकी है। इन तथ्यों को छिपाकर विपक्षी ने नई याचिका दाखिल की। कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किये बगैर याचिका मंजूर कर ली और याची को सेवानिवृत्ति परिलाभों का ब्याज सहित भुगतान का निर्देश दिया। इसी आदेश को सरकार ने चुनौती दी है।
सरकार का तर्क था कि कोविड के कारण अपील दाखिल करने की सरकार की अनुमति मिलने में देरी हुई है। जिसे माफ किया जाय। विपक्षी का जवाब आने के बाद सरकार को सुनकर देरी माफी अर्जी की सुनवाई होगी।
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