हाईकोर्ट : समाज के खिलाफ अपराध है नाबालिग से दुष्कर्म, आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 11 Apr 2022 11:19 PM IST

सार

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इससे असहाय बच्ची की आत्मा को ठेस पहुंचती है। ट्रायल पूरा होने से पहले आरोपित की निर्दोषिता का निर्णय नहीं किया जा सकता।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म न केवल पीड़िता के विरूद्ध अपराध है, बल्कि यह पूरे समाज के खिलाफ अपराध है। जीवन के मूल अधिकारों का हनन है। यदि कार्रवाई नहीं की गई तो लोगों का न्याय तंत्र से भरोसा उठ जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने गोरखपुर बांसगांव निवासी आरोपित चंद्र प्रकाश शर्मा की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इससे असहाय बच्ची की आत्मा को ठेस पहुंचती है। ट्रायल पूरा होने से पहले आरोपित की निर्दोषिता का निर्णय नहीं किया जा सकता। आठ साल की बच्ची दुष्कर्म और उसके दुष्परिणाम नहीं जानती। हाईकोर्ट ने कहा कि 12 वर्ष से छोटी बच्ची से दुष्कर्म में 20 वर्ष की कारावास बढ़कर उम्रकैद हो सकती है। साथ ही जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसे में ट्रायल से पहले आरोपित को निर्दोष नहीं माना जा सकता।

भारत में बच्चियों की पूजा की जाती है
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में बच्चियों की पूजा की जाती है। इसके बावजूद बच्चियों से छेड़छाड़ दुष्कर्म के अपराध में बढ़ोतरी हो रही है। लड़कियां मानसिक उत्पीड़न व डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं। कुछ अपना जीवन समाप्त कर ले रही हैं। कई मामलों में परिवार की इज्जत बचाने के लिए ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है।

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अभियोजन के मुताबिक 16 जुलाई 2021 को पीड़िता अमरूद तोड़ने घर के बगल में गई थी। जहां याची ने छेड़छाड़ के बाद दुष्कर्म किया। पीड़िता ने घर में बताया तो मेडिकल जांच के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई। 17 जुलाई से आरोपित जेल में बंद है। सत्र अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

इसके बाद आरोपित ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए यह अर्जी दाखिल की थी। बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि मेडिकल जांच में ब्लीडिंग नहीं पाई गई। बयान में भी पीड़िता ने दुष्कर्म नहीं कहा है। किंतु कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इन्कार कर दिया।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म न केवल पीड़िता के विरूद्ध अपराध है, बल्कि यह पूरे समाज के खिलाफ अपराध है। जीवन के मूल अधिकारों का हनन है। यदि कार्रवाई नहीं की गई तो लोगों का न्याय तंत्र से भरोसा उठ जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने गोरखपुर बांसगांव निवासी आरोपित चंद्र प्रकाश शर्मा की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इससे असहाय बच्ची की आत्मा को ठेस पहुंचती है। ट्रायल पूरा होने से पहले आरोपित की निर्दोषिता का निर्णय नहीं किया जा सकता। आठ साल की बच्ची दुष्कर्म और उसके दुष्परिणाम नहीं जानती। हाईकोर्ट ने कहा कि 12 वर्ष से छोटी बच्ची से दुष्कर्म में 20 वर्ष की कारावास बढ़कर उम्रकैद हो सकती है। साथ ही जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसे में ट्रायल से पहले आरोपित को निर्दोष नहीं माना जा सकता।

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