हाईकोर्ट : सीएमओ मेरठ को दो महीने में दावे के निस्तारण का निर्देश

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– फोटो : istock

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ की याची अरुणा की अनुकंपा नियुक्ति के दावे को दो महीने में निस्तारित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सीएमओ मेरठ आदेश की प्रति मिलने के दो महीने के भीतर दावे का निस्तारण करें। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने अरुणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची की ओर से अधिवक्ता योगेंद्र पाल सिंह ने बहस की। 

तर्क दिया कि याची मृतक की विवाहित बेटी है। उसने अपने पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति का दावा किया लेकिन सीएमओ मेरठ ने उसे खारिज कर दिया। कहा. विवाहिता बेटी यह दावा नहीं कर सकती है जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव के केस में विवाहिता बेटी को भी अनुकंपा नियुक्ति का लाभ देने की व्यवस्था बनाई है। लिहाजा, याची भी इस व्यवस्था के तहत लाभ पाने की हकदार है। कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के तहत सीएमओ मेरठ के दावे का निस्तारण करने का निर्देश दिया।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ की याची अरुणा की अनुकंपा नियुक्ति के दावे को दो महीने में निस्तारित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सीएमओ मेरठ आदेश की प्रति मिलने के दो महीने के भीतर दावे का निस्तारण करें। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने अरुणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची की ओर से अधिवक्ता योगेंद्र पाल सिंह ने बहस की। 

तर्क दिया कि याची मृतक की विवाहित बेटी है। उसने अपने पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति का दावा किया लेकिन सीएमओ मेरठ ने उसे खारिज कर दिया। कहा. विवाहिता बेटी यह दावा नहीं कर सकती है जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव के केस में विवाहिता बेटी को भी अनुकंपा नियुक्ति का लाभ देने की व्यवस्था बनाई है। लिहाजा, याची भी इस व्यवस्था के तहत लाभ पाने की हकदार है। कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के तहत सीएमओ मेरठ के दावे का निस्तारण करने का निर्देश दिया।



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