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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 17 Feb 2022 12:56 AM IST
सार
मामले में याचियों ने विपछी पक्ष पर डोरी लाल की हत्या का आरोप लगाया था। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया था। याचियों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती थी।
मथुरा के मानत थाने के अंतर्गत 2012 में हुई हत्या के मामले में दोषियों को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए याचिका को खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने वीरेंद्र सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया।
मामले में याचियों ने विपछी पक्ष पर डोरी लाल की हत्या का आरोप लगाया था। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया था। याचियों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती थी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया गया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला सही है। कोर्ट ने पाया कि घटना के दौरान प्रत्यक्षदर्शी जो कि मामले में गवाह हैं, वह सभी मृतक के रिश्तेदार हैं और वह अपनी गवाही भी साबित नहीं कर पाए। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया। ब्यूरो
विस्तार
मथुरा के मानत थाने के अंतर्गत 2012 में हुई हत्या के मामले में दोषियों को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए याचिका को खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने वीरेंद्र सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया।
मामले में याचियों ने विपछी पक्ष पर डोरी लाल की हत्या का आरोप लगाया था। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया था। याचियों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती थी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया गया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला सही है। कोर्ट ने पाया कि घटना के दौरान प्रत्यक्षदर्शी जो कि मामले में गवाह हैं, वह सभी मृतक के रिश्तेदार हैं और वह अपनी गवाही भी साबित नहीं कर पाए। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया। ब्यूरो
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