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होली के अवसर पर रेलवे स्टेशन पर वाघ एक्सप्रेस में आपात कालीन खिड़की चढ़ते यात्री।
– फोटो : अमर उजाला
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अरे मैडम, इतनी भीड़ में आप कहां चढ़ पाएंगी। देख नहीं रही हैं कि हम लोग खुद दरवाजे के पास अड़से पड़े हैं। हम लोगों का क्या? धक्का खाते आए थे, अब गिरते-पड़ते चले जाएंगे। अंदर जगह नहीं है। मैडम बोलीं…भईया किसी तरह कोच में अंदर जाने दो। मुझे दिल्ली जाना बहुत जरूरी है। अकेली हूं, अंदर जाकर कहीं भी नीचे बैठ जाउंगी।
करीब पांच मिनट की जद्दोजहद के बाद आखिरकार अंजू देवी बैग और एक बोरी लेकर कोच में प्रवेश कर पाईं। हालांकि, इसी बीच एक प्रिया नाम की लड़की भीड़ देखकर हिम्मत नहीं जुटा पाई। दस मिनट की कोशिश के बाद भी उसके सामने ही ट्रेन रवाना हो गई।
बृहस्पतिवार को यह दृश्य प्लेटफॉर्म दो पर अपराह्न 3:35 बजे दरभंगा से नई दिल्ली जा रही बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में देखने को मिला। जनरल कोच पहले से ही फुल थी। सबसे ज्यादा परेशान महिलाएं थीं। एक कोच से दूसरे कोच में जगह की तलाश में भटकी रहीं थीं।
ट्रेन में सबसे पीछे की ओर लगे तीन जनरल कोचों में बमुश्किल 30 से 40 लोग ही चढ़ पाए। पहले से ही ट्रेन के पावदान पर लोग बैठे थे। स्पेशल ट्रेनों के चलने के बाद भी रोजाना जाने वाली ट्रेनों में ठसाठस भीड़ है। होली में घर आए लोग अब लौटने लगे हैं। जनरल बोगियां पूरी तरह से पैक हो जा रही हैं।
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