कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया थानाक्षेत्र के नौरंगिया स्कूल टोला में बुधवार की देर रात कुएं में गिरने से 13 लोगों की मौत ने पुराने जख्म को फिर ताजा कर दिया। लोगों की नजरों के सामने पुराने मंजर फिर से घूमने लगे। लोग जगह-जगह उन घटनाओं का जिक्र करते देखे गए। चार साल पहले नौरंगिया स्कूल टोला में ही बेकाबू एक वाहन ने पांच लोगों को रौंद दिया था तो दुदही के बहपुरवा रेलवे क्रासिंग पर ट्रेन की चपेट में आने से स्कूल वैन में सवार 13 मासूमों की मौत हो गई थी। ऐसे ही सुकरौली में हुई दुर्घटना में भी आठ लोग मौत के मुंह में समा गए थे।
बेकाबू वाहन ने रौंद दिया था पांच लोगों को
नौरंगिया स्कूल टोला में घटित घटना ने 18 फरवरी 2017 की इसी गांव की घटना को फिर से लोगों के जेहन में ताजा कर दिया। नौरंगिया स्कूल टोला निवासी श्यामसुंदर तिवारी की बेटी की शादी थी।
दरवाजे पर धूमधाम से बरात पहुंची थी। मांगलिक गीतों के बीच शहनाई बज रही थी। द्वारपूजा के दौरान बराती, घराती और गांव के लोग सड़क के किनारे खड़ा होकर आर्केस्ट्रा की नर्तकियों का नृत्य देख रहे थे। उसी दौरान काल बनकर आया एक वाहन लोगों को रौंदते हुए निकल गया था।
उस दुर्घटना में क्यासपति, बिट्टू शर्मा, अंगीरा, तारा देवी सहित पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि दस लोग घायल हुए थे। उस समय भी विधानसभा चुनाव चल रह था। उसके बाद इस विधानसभा चुनाव में इसी गांव में दूसरी सबसे बड़ी हृदयविदारक घटना घटी।
ट्रेन की टक्कर से गेंद की तरह उछल गई थी स्कूल वैन, 13 बच्चे समा गए थे मौत के मुंह में
26 अप्रैल 2018 को सुबह गोरखपुर से सिवान जा रही पैसेंजर ट्रेन की चपेट में एक स्कूल वैन आ गई थी। दुदही के बहपुरवा ढाले पर हुई इस दुर्घटना में 13 मासूमों की मौत हो गई थी। वैन गेंद की तरह उछलकर दूर गड्ढे में जा गिरी थी।
यह हादसे सुबह करीब छह बजे हुआ था। चालक समेत चार बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए थे। दुर्घटना के बाद बहपुरवा ढाला पर भीड़ एकत्र हो गई थी। चारों तरफ मासूमों के शव गिरे पड़े थे। दुर्घटना के दो घंटे के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंच गए थे। अब इस बहपुरवा फाटक पर अंडरपास बना दिया गया है। यह बच्चे विशुनपुरा थाना क्षेत्र के दुदही बाजार में बिना मान्यता संचालित डिवाइन मिशन स्कूल में पढ़ते थे। वैन का चालक ईयरफोन लगाकर वाहन चला रहा था, जिससे ट्रेन का हॉर्न उसे सुनाई नहीं दिया था। उस वैन में भेड़िहारी टोला, मिश्रौली, मैहरवा एवं पडरौन मडुरही गांव के 17 बच्चे बैठे थे।