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अपनी बारी का इंतजार करते मरीज
– फोटो : अमर उजाला
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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईएमएस) के नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में दिखा चुके करीब 150 किडनी मरीजों की डायलिसिस समय से नहीं हो रही है। मरीज दर्द से कराहते रहते हैं, फिर भी नाम प्रतीक्षा सूची में डाल दिया जाता है। यह समस्या मैन पावर और मशीनों की कमी से गहराई है। विभाग में तैनात एक ही डॉक्टर मरीजों को देखते हैं। वही वार्ड में भर्ती मरीजों की देखरेख और डायलिसिस भी कराते हैं। नियमानुसार, तीन डॉक्टरों की नियुक्ति होनी चाहिए।
एक 55 वर्षीय व्यक्ति शनिवार को अपने बेटे के साथ सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक पहुंचा। ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए पर्चा जमा किया। करीब घंटे भर बाद नंबर आया तो डॉक्टर ने डायलिसिस कराने की सलाह दी। व्यक्ति डायलिसिस सेंटर गया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। दो टूक कहा गया कि डायलिसिस के लिए तारीख लेनी पड़ेगी। जब नंबर आएगा, तभी डायलिसिस होगी। अभी लंबी वेटिंग है। कमोबेश यही स्थिति ज्यादातर मरीजों की रही। जिन मरीजों को पहले से तिथि मिली थी, उन्हीं की डायलिसिस की गई। नए मरीजों को नई तिथि पर आने की जानकारी दी गई। कुछ मरीज ऐसे थे, जो दर्द से कराह रहे थे। इसलिए दूसरे अस्पताल या केंद्र से डायलिसिस कराने की सलाह दी गई।
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