[ad_1]
विस्तार
अलीगढ़ जिले में बकरे-बकरियों की तादाद में गिरावट आई है। एक पशुगणना से दूसरी पशुगणना में करीब 36 हजार बकरे-बकरियां कम हुए हैं। इसकी वजह तलाशने की जिम्मेदारी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के भूगोल विभाग के प्रो. निजामुद्दीन खान को सौंपी गई है। शोध के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से उन्हें 10 लाख रुपये मिले हैं।
शोध परियोजना दो साल की होग। परियोजना बकरी पालन के माध्यम से रोजगार सृजन की संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। बकरी पालन एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर किसान किस प्रकार अपनी अतिरिक्त आय बढ़ा सकते हैं।
एक लाख से ज्यादा बकरे-बकरियां
जिले में 1,36,507 में बकरे-बकरियां हैं। 19वीं पशु गणना के आधार पर एक लाख 73 हजार 119 बकरे-बकरियां थीं, जबकि 20वीं पशुगणना के आधार पर एक लाख 36 हजार 507 बकरे-बकरियां हैं। पिछली पशुगणना के हिसाब से बकरे-बकरियों की संख्या में गिरावट आई है। पांच साल में पशुगणना होती है।
शोध के केंद्र बिंदु
- वर्तमान में बकरियों की संख्या और पिछले दो दशकों के दौरान विकास दर का आकलन करना।
- जिले में बकरी पालन एक विकासखंड से दूसरे विकासखंड में कैसे भिन्न है।
- जो बकरी पालन में लिंगवार, भूमि आकारवार, शिक्षा स्तर-वार शामिल हैं।
- बकरी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आय सृजन और रोजगार का स्तर।
- जिले में बकरी पालन के आधुनिकीकरण, व्यवसायीकरण को समझने के लिए।
- फसल और डेयरी, पोल्ट्री और मछली पालन गतिविधियों के एकीकरण के साथ आधुनिक कृषि प्रणाली के लिए बाजार की संभावनाओं और नए रास्ते तलाशें।
- महिलाओं, शिक्षित बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को स्थानीय रोजगार प्रदान करने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से बकरी-डेयरी और फसल एकीकृत मॉडल के लिए एक मॉडल तैयार करें।
[ad_2]
Source link