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नयी दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे की वजह से इस साल का बजट सत्र काफी हद तक ठप रहा। बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चला। फिर दूसरा चरण 13 मार्च से 6 अप्रैल तक चला। इस पूरे सत्र में लोकसभा की 25 बैठकें हुईं। हालांकि, इन बैठकों में सिर्फ 45 घंटे 55 मिनट ही काम हुआ।
आज के डीएनए में, ज़ी न्यूज़ के रोहित रंजन ने चर्चा की कि कैसे इस बजट सत्र के दौरान संसद सत्र बार-बार ठप हो गए और इसने लोकसभा की कार्यक्षमता को कैसे प्रभावित किया।
पिछले लोकसभा सत्रों की तुलना में, 11वें सत्र के दौरान अधिकतम घंटों का नुकसान हुआ। लोकसभा में लगातार हो रहे हंगामे और हंगामे की एक मुख्य वजह लंदन में राहुल गांधी के बयानों को लेकर हुआ विवाद था. एक अन्य कारण अडानी मुद्दे पर एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की विपक्ष की मांग थी। लेकिन सत्ता पक्ष ने कहा कि चूंकि मामला अदालत में है, इसलिए जेपीसी जांच की कोई आवश्यकता नहीं है।
इस मुद्दे को लेकर कई दिनों तक संसद ठप रही। लोकसभा की कार्यवाही ठप होने के लिए विपक्ष और भाजपा दोनों ने एक-दूसरे पर दोषारोपण किया। यह संसद के अंदर होने वाली चर्चाओं को नुकसान पहुंचाता है और इसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।
लोकसभा और राज्यसभा में अटके कई विधेयकों पर चर्चा का मौका ही नहीं मिला। सदन चलाने का खर्चा इतना है कि इतने घंटे बर्बाद करने से लाखों रुपये का नुकसान हो जाता है।
आज का डीएनए एपिसोड यहां देखें:
DNA: जनता के पैसे की बर्बादी के लिए होता है संसद का सत्र?#डीएनए #संसद सत्र @irohitr pic.twitter.com/U9uj8BjXlA– ज़ी न्यूज़ (@ZeeNews) अप्रैल 6, 2023
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