Unnao News: स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल, 1.50 लाख आबादी परेशान

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मौरावां। आठ साल पहले संचालित हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का का लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। गर्भवतियों के प्रसव की सुविधा तो दूर मरीजों के एक्सरे और अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे। ऐसे में मरीज निजी पैथोलॉजी में जांच कराने को मजबूर हैं। यही नहीं रैबीज का टीका तक नहीं है। कुत्ता या बंदर काटने पर पीड़ित को टीका लगवाने के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है।

हिलौली ब्लॉक क्षेत्र की 1.20 लाख आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ देने के लिए साल 2012 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी का दर्जा दिया गया था। उस समय लोगों को खुशी हुई थी कि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। सीएचसी बने दस साल बीत गए लेकिन आज तक ओपीडी में डॉक्टरों के देखने और दवाएं उपलब्ध कराने के साथ अन्य कोई भी सुविधा नहीं है। सीएचसी में रोजाना 150 से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है। डॉक्टर उन्हें देखकर सिर्फ दवाएं देकर चलता कर रहे हैं। सबसे खराब स्थिति तो गर्भवतियों की हैं। वह सीएचसी जांच कराने जाती जरूर हैं। लेकिन अल्ट्रासाउंड की सुविधा न होने से डॉक्टर सिर्फ ओपीडी में देखकर उन्हें जिला महिला अस्पताल रेफर कर दे रहे हैं।

सीएमएओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि मौरावां सीएचसी में स्टाफ नर्स की कमी है। सीएचसी प्रभारी ने मांग की है। जैसे ही उन्हें स्टाफ नर्स मिलती हैं। प्रसव की सुविधा शुरू करा दी जाएगी।

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सीएचसी का संचालन किए दस साल बीत गए। लेकिन यहां न तो अल्ट्रासाउंड और न ही एक्सरे मशीन लग पाई है। ऐसे में गर्भवतियों के साथ पेट दर्द और अन्य बीमारियों से पीड़ित वह मरीज जिन्हें जांच की जरूरत होती है उन्हें डॉक्टर बाहर से जांच लिखने को मजबूर हैं।

मौरावां कस्बा निवासी रोहित शुक्ला ने बताया कि 20 हजार आबादी के लोगों को अस्पताल में एक्स-रे मशीन अल्ट्रासाउंड न होने से जांच पुरवा उन्नाव कानपुर और लखनऊ जाना पड़ता है। उक्त सभी सुविधाएं सीएचसी में होने चाहिए।जिससे गरीबों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिले।जिससे जांच में लगने वाला पैसा बचेगा।और बीमार लोगों लंबी दौड़ भाग से निजात मिलेगी।

मौरावां निवासी शाकुल गुप्ता ने बताया कि प्रसूताओं के लिए अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है। प्रसव के लिए महिलाओं को पुरवा सीएचसी या फिर हिलौली पीएचसी जाना पड़ता है। सीएचसी होने के बाद भी रैबीज का टीका नहीं लगता। जिन्हें कुत्ता या बंदर काट लेते हैं वह 300 रुपये का टीका खरीदकर लगवाने को मजबूर हैं।

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