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मौरावां। क्षेत्र की डेढ़ लाख आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए 10 साल पहले संचालित हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। प्रसव की सुविधा तो दूर, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे। इससे मरीज निजी पैथोलॉजी में जांच कराने के लिए मजबूर हैं। यहां एंटी रैबीज का टीका तक नहीं है।
हिलौली ब्लॉक क्षेत्र की 1.20 लाख आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ देने के लिए वर्ष 2012 में मौरावां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी का दर्जा दिया गया था। सीएचसी बने 10 साल बीत गए पर ओपीडी में डॉक्टरों के देखने और दवाएं उपलब्ध कराने के साथ अन्य कोई भी सुविधा तक नहीं है। सीएचसी में रोजाना 150 मरीजों की ओपीडी होती है। डॉक्टर उन्हें देखकर सिर्फ दवाएं लिख देते हैं। सबसे दयनीय स्थिति तो गर्भवतियों की हैं। वह सीएचसी जांच कराने जाती जरूर हैं पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा न होने से डॉक्टर सिर्फ ओपीडी में देखकर उन्हें जिला महिला अस्पताल रेफर कर दे रहे हैं।
सीएमओ सीएमएओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि मौरावां सीएचसी में स्टॉफ नर्स की कमी है। सीएचसी प्रभारी ने मांग की है। जैसे ही उन्हें स्टॉफ नर्स मिलती हैं। प्रसव की सुविधा शुरू करा दी जाएगी।
नहीं लगी एक्सरे और अल्ट्रासाउंड मशीन
सीएचसी में दस साल बाद भी अल्ट्रासाउंड और न ही एक्सरे मशीन लग पाई है। ऐसे में गर्भवतियों के साथ पेट दर्द और अन्य बीमारियों से पीड़ित वह मरीज जिन्हें जांच की जरूरत होती है उन्हें डॉक्टर बाहर से जांच लिखने को मजबूर हैं।
क्या बोले लोग
फोटो-25 मौरावां
कस्बे निवासी रोहित शुक्ला ने बताया कि 20 हजार आबादी के लोगों को अस्पताल में एक्सरे मशीन, अल्ट्रासाउंड न होने से जांच पुरवा उन्नाव कानपुर और लखनऊ के लिए जाना पड़ता है। उक्त सभी सुविधाएं सीएचसी में होने चाहिए। जिससे गरीबों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिले।जिससे जांच में लगने वाला पैसा बचेगा।और बीमार लोगों लंबी दौड़ भाग से निजात मिलेगी।
फोटो-26
मौरावां निवासी शाकुल गुप्ता ने बताया कि प्रसूताओं के लिए अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है। प्रसव के लिए महिलाओं को पुरवा सीएचसी या फिर हिलौली पीएचसी जाना पड़ता है। सीएचसी होने के बाद भी रैबीज का टीका नहीं लगता। जिन्हें कुत्ता या बंदर काट लेते हैं वह 300 रुपये का टीका खरीदकर लगवाने को मजबूर हैं।
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