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गोरखपुर नगर निगम।
– फोटो : amar ujala
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इस बार नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सामने अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती होगी। एक समय था जब कांग्रेस पार्टी ने शहर को नगर निगम का पहला मेयर दिया था। पवन बथवाल शहर के पहले मेयर चुने गए। इसके बाद से नगर निगम में कांग्रेस पार्टी का ग्राफ लगातार गिरता चला गया और अभी हाल में खत्म हुए नगर निगम बोर्ड में कांग्रेस पार्टी से सिर्फ दो पार्षद चुने जा सके थे।
इस बार भी कांग्रेस पार्टी नगर निगम चुनाव में पूरे दमखम के साथ चुनाव में उतरने का दावा कर रही है, लेकिन जिला एवं महानगर कांग्रेस की लाख कोशिशों के बावजूद पार्टी को शहर के 80 वार्डों में से मात्र 34 प्रत्याशी ही ढूंढ सकी। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के सामने नगर निगम चुनाव में अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती रहेगी। वर्ष 1989 में नगर निगम क्षेत्र में केवल 30 वार्ड थे। उस वक्त हरेक वार्ड से दो-दो पार्षद चुने जाते थे। उस समय कांग्रेस पार्टी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी और निर्दलियों के सहयोग से पवन बथवाल नगर निगम के पहले मेयर चुने गए।
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पवन बथवाल का कार्यकाल खत्म होने के बाद नगर निगम में वार्डों की संख्या बढ़कर 60 हो गई। उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 12 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद से नगर निगम में कांग्रेस पार्टी की स्थिति लगातार कम होती चल गई। किन्नर आशा देवी के कार्यकाल के दौरान सात कांग्रेसी नगर निगम बोर्ड में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहे।
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