अतीक अहमद व अशरफ हत्याकांड को 11 दिन बीत चुके हैं और विवेचना में जुटी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) शूटरों के बयान में उलझकर रह गई है। कई सवाल हैं जिनका जवाब अब तक नहीं खोजा जा सका है। इसमें सबसे बड़ा सवाल हत्या की वजह को लेकर है। माफिया भाइयों के कत्ल के मकसद की बात करें तो इसे लेकर कई थ्योरी है। लेकिन सवाल अब भी वही है कि इसमें से आखिर सही कौन है? कौन-कौन सी हैं वह थ्योरी और उनके सही या बेदम होने को लेकर क्या हैं तर्क, आप खुद ही पढि़ए-
1- शूटरों का बयान
पुलिस की जांच पड़ताल में अब तक शूटरों ने यही बयान दिया है कि उन्होंने नाम कमाने के लिए यह वारदात की। हत्याकांड को उन्हाेंने खुद अंजाम दिया और इसमें उनके अलावा कोई शामिल नहीं।
वजह क्यों सही : तीनों शूटरों का आपराधिक इतिहास है। इनमें से दो के दबंगई के किस्से पहले भी सामने आए। शूटर सनी का अपराधियों से मेलजोल और कुख्यात गैंग से कनेक्शन?वजह क्यों गलत : इतने हाईप्रोफाइल हत्याकांड के पीछे कोई साजिश की बात सामने न आना। सात लाख कीमत वाली प्रतिबंधित पिस्टलों का इस्तेमाल। जान पर खेलकर पुलिस सुरक्षा के बीच वारदात करना और मौके पर ही हथियार फेंककर सरेंडर करना।
2- सुपारी किलिंग
जिस तरह से हत्याकांड को अंजाम दिया गया, उससे एक आशंका यह भी है कि माफिया भाइयों की हत्या सुपारी देकर कराई गई।
वजह क्यों सही : वारदात को अंजाम देने वाले तीनों शूटरों का अतीक-अशरफ से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है। ऐसे में किसी ने सुपारी देकर उनसे इस वारदात को अंजाम दिलवाया। गुमनाम होने की वजह से पुलिस सुरक्षा में भी वह अतीक-अशरफ तक आसानी से पहुंच सकेंगे। वजह क्यों गलत : पूर्वांचल में सुपारी किलिंग करने वाले कई शूटर मौजूद हैं। ऐसे में कोई इतनी बड़ी वारदात के लिए नए-नवेले शूटरों पर दांव क्यों लगाएगा। शूटराें के मुंह खोलने का भी डर था, ऐसे में कोई इतना बड़ा खतरा क्यों मोल लेगा?
3- अपनों की मौत का इंतकाम
माफिया भाइयों पर कुल मिलाकर 150 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। ऐसे लोगों की संख्या बहुतायत में है जो उनसे पीड़ित हों। ऐसे में निजी रंजिश भी हत्या की एक वजह हो सकती है।
वजह क्यों सही : भले ही कत्ल के एक भी मुकदमे में माफिया भाई दोषी न ठहराए गए हों, लेकिन ऐसे कई मुकदमों में वह आरोपी बने, जिनमें किसी को दिनदहाड़े बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया हो। हो सकता है कि किसी ने इसी निजी रंजिश में यह वारदात कराई हो।वजह क्यों गलत : अतीक-अशरफ पर उमेशपाल के कत्ल से पहले हत्या का आखिरी मुकदमा 18 साल पहले राजू पाल हत्याकांड में दर्ज हुआ। इसके बाद भी अतीक 2016 जबकि अशरफ 2020 तक जेल के बाहर ही रहा। ऐसे में जब अतीक को उम्रकैद हो चुकी हो, तब हत्या इंतकाम में हत्या कराने के तर्क में बहुत दम नहीं नजर आता।
4- दोस्ती में दगा
पुलिस व अन्य एजेंसियों की जांच में साफ हो चुका है कि अतीक के कई ऐसे करीबी थे जो उसकी ब्लैकमनी को अपने व्यापार में लगाकर वैध करते थे। ऐसे में शक यह भी है कि करोड़ों की यह रकम तो हत्या की वजह नहीं बनी?
वजह क्यों सही : प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक कई ऐसे लोग हैं, जिनसे अतीक का करोड़ों का लेनदेन है। हाल ही में इनमें से कई के ठिकानों पर ईडी ने शिकंजा भी कसा था। ऐसे में हो सकता है कि करोड़ों हड़पने की नीयत से हत्याकांड अंजाम दिलवाया गया हो।वजह क्यों गलत : अतीक से बड़े बिल्डरों-व्यापारियों से कारोबारी रिश्ते नई बात नहीं। अरसे से यह सिलसिला चला आ रहा था। बड़ी रकम के निवेश से जहां एक ओर उन्हें फाइनेंसर मिलता था तो माफिया का वरदहस्त होने पर अपराधियों से संरक्षण के साथ कई अन्य फायदे भी होते थे। ऐसे में जमा-जमाया सिस्टम कोई क्यों खराब करेगा, यह बड़ा सवाल है।
5- राज खुलने का डर
कई ऐसे भी लोग हैं जो कभी अतीक के बेहद करीबी रहे। अतीक के वरदहस्त से ही उन्होंने कुछ ही सालों में फर्श से अर्श का सफर तय किया। लेकिन दिन बिगड़ते ही उससे दूरी बनानी शुरू कर दी। खुद को उसका दुश्मन बताने लगे। उसका हर एक राज जांच एजेंसियों काे देने लगे। लेकिन अतीक-अशरफ के सीने में भी ऐसे लोगाें के ढेरों राज थे। तो कहीं राज खुलने के डर से तो उन्हें खत्म नहीं कराया गया?
वजह क्यों सही : दोस्त से दुश्मन बने लोगाें की सूची लंबी है। कभी वह अतीक के लिए ही काम करते थे और उसके हर गलत काम में उसके हमकदम थे। उन्हें डर था कि उम्रकैद की सजा और बेटे को खोने के बाद बौखलाया अतीक उनके भी राज खोल सकता है, ऐसे में उन्होंने उसकी हत्या करा दी। वजह क्यों गलत : दोस्त बने दुश्मन मौजूदा समय में अतीक से काफी मजबूत स्थिति में थे। एक बेटे की मौत के बाद अतीक पूरी तरह से टूट चुका था। उसके बेहद करीबी गुर्गे या तो जेल में थे या उसका साथ छोड़ चुके थे। कानून का शिकंजा भी पूरी तरह कस चुका था। बाकी की उम्र भी जेल में कटनी थी, ऐसे में उसे खत्म कराने से क्या फायदा होता।
6- सिस्टम
किसी से छिपा नहीं है कि कभी मोहल्ले में दबंगई करने वाले अतीक के मामूली गुंडे से माफिया तक का सफर तय करने में सिस्टम का क्या रोल रहा। यह सिस्टम ही था, जिसकी सरपरस्ती में वह 40 सालों तक आतंक का पर्याय बना रहा। इस सिस्टम में अफसर से लेकर अदना कर्मचारी तक शामिल है। कहीं इस हत्याकांड की वजह यह सिस्टम ही तो नहीं?
वजह क्यों सही : अतीक-अशरफ लगातार अपनी जान को खतरा बता रहे थे। उसके परिजन भी लगातार शक जाहिर कर रहे थे। अशरफ ने तो यहां तक कहा कि उसे एक बड़े अधिकारी ने बहाने से जेल से बाहर निकलवाकर हत्या कराने की धमकी दी।
वजह क्यों गलत : पिछले कुछ सालों में शासन की कार्रवाई में अतीक का साम्राज्य नेस्तानाबूद हो चुका था। आर्थिक साम्राज्य पर पहले ही करोड़ों की चोट लग चुकी थी। उमेशपाल हत्याकांड में पूरे कुनबे पर शिकंजा कसने के बाद उसका रहा-सहा गुरूर भी टूट गया था। उसके मारे जाने से पहले ही उसके खौफ का खात्मा हो चुका था। ऐसे में सिस्टम में बैठा कोई व्यक्ति ऐसा करेगा, इस वजह में कोई दम नहीं नजर आता।