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पाटन (उन्नाव)। सूडान में फैली हिंसा के बीच में हालातों और पल-पल हालातों से लड़ते हुए किसी तरह घर लौटे सुमेरपुर ब्लाक के जंगल बुजुर्ग के गांव विजयीखेड़ा के युवक की आपबीती बताते आंखे भर आईं। बताया कि हमलावर लातघूसों से मारते थे, लूटपाट करते और रुपये व जो भी सामान मिलता छीन ले जाते। मौत को कई बार करीब से देख चुके बिंदा ने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों का नतीजा है कि वह जिंदा लौट पाया।
विजयीखेड़ा निवासी बिंदा प्रसाद सूडान में रहकर स्टील कंपनी में मजदूरी करता था। वहां पिछले 15 दिन से हिंसा फैली हुई है। हमलावर लोगों को मार रहे हैं। ऐसे में वहां फंसे बिंदा प्रसाद भारत सरकार के आपरेशन कावेरी के तहत तरह से घर लौट सके हैं। बिंदा प्रसाद ने आपबीती बताते हुए कहा कि वहां पर भारी संख्या में भारतीय थे। हमलावर सभी को लातघूसों से मारते थे। कनपटी पर गन रख देते थे। मोबाइल, रुपये छीन कर ले जाते थे। बताया कि उसके पास 18 हजार पाउंड थे जिसे मोबाइल के साथ कूड़े में छिपा दिया था, हमलावर वह सब भी ले गए। घर पहुंचकर बिंदा प्रसाद ने केंद्र व प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया। कहा कि मोदी और योगी की बचाई हुई उनकी जिंदगी है।
चार साल से सूडान में था
बिंदा प्रसाद ने बताया कि वह वर्ष 2015 में ओमेगा स्टील प्लांट में डीजल मकैनिक के पद पर काम करने गए थे। 2019 में बड़ी बेटी की शादी करने के लिए घर आया था। दो महीने बाद वापस चला गया था। तब से वहीं था। 15 अप्रैल को सूडान में हमले के बाद 16 अप्रैल को फैक्टरी पर दंगाइयों ने हमला कर दिया था। स्थिति काफी भयावह हो गई थी। समझ नहीं आ रहा था कि कैसे घर पहुंचेंगे। बताया कि 23 अप्रैल को सूडान सरकार आौर भारतीय दूतावास के सहयोग से सूडान पोर्ट पर लाया गया। वहां एक रात पोर्ट के बाहर स्कूल में रोका गया। फिर 25 अप्रैल की सुबह इंडियन नेवी के समुद्री जहाज पर सवार होकर आइनस सुमेंदा सऊदी के जिद्दा एयरपोर्ट लाया गया। जिद्दा एयरपोर्ट पर सभी भारतीयों को जलपान की व्यवस्था की गई। यहां से कुछ दूर पर इंडियन नेशनल स्कूल जिद्दान में सभी भारतीयों को रोककर रखा गया। 26 अप्रैल को जिद्दा एयरपोर्ट से फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे। फिर यूपी भवन से भोजन कराकर बस से कानपुर भेजा गया। कानपुर से प्राइवेट बस से रात में घर पहुंचा तो खुशी से परिजन फफक पडे। पत्नी माया देवी व बेटी शिवानी समेत उसके परिजन सुरक्षित घर पहुंचने पर सरकार को धन्यवाद देने से नहीं थके।
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