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नयी दिल्ली:
केरल के मलप्पुरम जिले में हाउसबोट दुर्घटना “चौंकाने वाली” और “प्रेतवाधित” थी, उच्च न्यायालय ने आज इस त्रासदी की जांच के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) शुरू करते हुए कहा, जिसने 22 लोगों की जान ले ली।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने आज सुबह बताया कि अदालत ने कहा कि वह “त्रासदी को भूलने नहीं देगी”।
रविवार शाम करीब 7.30 बजे, मलप्पुरम के तनूर में थूवलथीरम बीच के मुहाने के पास एक खचाखच भरी हाउसबोट पलट गई।
अब तक बाईस शव बरामद किए जा चुके हैं और बचाव कार्य अभी भी जारी है। जिला अधिकारियों ने कहा है कि पीड़ितों में से 15 नाबालिग हैं, जिनमें सबसे छोटा आठ महीने का है।
अभी तक की जांच में हादसे की वजह भीड़भाड़ बताई जा रही है। अधिकारियों ने कहा है कि 40 टिकट बेचे जा चुके थे लेकिन यह संभव है कि जब हाउसबोट पलटी तो उसमें और यात्री सवार थे।
घटना के बाद के घटनाक्रम में कई अन्य स्पष्ट चूकों का भी खुलासा हुआ है जो इस त्रासदी का कारण हो सकते हैं। मनोरंजक, डबल डेकर नाव के पास कथित तौर पर फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं था। यह भी पता चला है कि नियमों का उल्लंघन कर हाउसबोट शाम के बाद चल रही थी।
अदालत द्वारा शुरू की गई जनहित याचिका का उद्देश्य यह पता लगाना है कि अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए पोत को संचालन की अनुमति क्यों दी।
जस्टिस देवन रामचंद्रन और शोभा अन्नम्मा एपेन की पीठ ने कहा कि उनके “दिल से खून बह रहा था” और बच्चों के शवों को देखने के बाद उनकी “रातों की नींद हराम” हो गई।
अदालत ने कहा कि यह दुर्घटना “मूर्खता, लालच और आधिकारिक उदासीनता के घातक मिश्रण” का परिणाम थी। अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए जनहित याचिका शुरू की गई है कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
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