Allahabad High Court : पुलिस रिपोर्ट आरोपी के खिलाफ भले ही न हो फिर भी मजिस्ट्रेट मामले का ले सकता है संज्ञ

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Magistrate can take cognizance of the case even if the police report is not against the accused

(सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट में भले ही आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता हो, लेकिन मजिस्ट्रेट चाहे तो वह मामले का संज्ञान ले सकता है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने यह टिप्पणी आसिफ अहमद सिद्दीकी के खिलाफ शंकरगढ़ थाने में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए की।

पीठ ने कहा कि स्थिति बहुत स्पष्ट और अच्छी तरह से स्थापित है कि धारा 173 (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट प्राप्त होने पर एक मजिस्ट्रेट धारा 190 (1) (बी) के तहत अपराध का संज्ञान लेने का हकदार है। भले ही पुलिस रिपोर्ट इस आशय की हो कि आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। मजिस्ट्रेट जांच के दौरान पुलिस द्वारा पेश किए गए गवाहों के बयानों को ध्यान में रख सकता है और शिकायत किए गए अपराध का संज्ञान ले सकता है और अभियुक्तों के खिलाफ आगे की कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए आदेश दे सकता है।

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याची के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता की अर्जी के आधार पर उसे तलब किया गया है। जबकि पुलिस रिपोर्ट में उसका नाम सामने नहीं आया है। न्यायालय ने कहा कि मुकदमे में अभियोजन पक्ष के मामले की सच्चाई को संदेह से परे स्थापित किया जाना है, जिसे न्यायालय 482 के तहत तय नहीं कर सकती है। क्योंकि, याची का नाम पीड़ित के बयान में आया है। लिहाजा, याचिका को खारिज किया जाता है।

मामले में याची के खिलाफ प्रयागराज के शंकरगढ़ थाने में पॉक्सो एक्ट सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जांच के बाद ट्रायल कोर्ट ने संज्ञान लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी। याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्राथमिकी सहित पूरी कार्रवाई को रद्द करने की मांग की थी।

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