[ad_1]
अखिलेश यादव और जयंत चौधरी
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
नगर निकाय चुनाव में सपा रालोद मिलकर लड़े थे। इसका कितना नफा, कितना नुकसान हुआ इसका रालोद मंथन कर रहा है। रालोद महापौर पद पर चुनाव नहीं लड़ा था और नगर पालिका और नगर पंचायतों के चुनावी रण में ही उसके उम्मदीवार खड़े हुए थे।
सपा रालोद का गठबंधन विधानसभा चुनाव 2022 में हुआ था जो इस बार के नगर निकाय चुनाव में भी रहा। शुरुआत में टिकट वितरण को लेकर कई सीटों पर दोनों के बीच तनातनी हुई लेकिन बाद में फैसला हो गया। रालोद का जोर नगर पालिका एवं नगर पंचायत में था। 17 में से एक भी नगर निगम महापौर पद पर उसने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।
सभी पर सपा को समर्थन दिया था। हालांकि सपा एक भी महापौर पद नहीं जीत सकी है। बाकी जगह रालोद लड़ा और उसका परिणाम ठीक ही माना जा रहा। रालोद ने 7 नगर पालिका अध्यक्ष और 7 नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर चुनाव जीता। 10 पार्षद भी उसके जीते।
इसके अलावा 40 नगर पालिका सदस्य और 38 नगर पंचायत सदस्य जीते। अब रालोद लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट रहा है। कमेटियों का गठन करना है। उससे पहले मंथन किया जा रहा । इस बाबत दिल्ली में अगले सप्ताह बैठक बुलाई जा रही है।
[ad_2]
Source link