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संवाद न्यूज एजेंसी
उन्नाव। गैंगस्टर एक्ट के आरोपी दो सगे भाइयों को 18 साल बाद मुकदमे की अंतिम सुनवाई में जिला एवं अपर सत्र न्यायालय ने दोषी माना। अपर जिला जज ने दोनों को दस दस वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 20, 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
सोहरामऊ थाना में 28 सितंबर 2002 को तत्कालीन थानाध्यक्ष हफीजुर्रहमान ने चौपाई गांव निवासी ललई सिंह व उसके सगे भाई पूत सिंह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। थाना पुलिस ने आरोपी ललई व पूत सिंह का गैंग चार्ट तैयार किया तो उस समय दोनों पर हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती जैसे जघन्य अपराध के 25 अपराधिक मुकदमे जनपद व उसके आसपास के जिलों में दर्ज थे। विवेचक तत्कालीन थानाध्यक्ष बच्चनलाल श्रीवास्तव ने गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे की विवेचना की।
विवेचक व गवाहों ने दर्ज हुए बयानों में कहा है कि दोनों आरोपी सरकारी कार्यालयों में लोकसेवकों को आंतकित व भयभीत कर अपने संगठित गिरोह की दबंगई से उनके विधिपूर्ण कार्यों के पालन करने से रोकने का हर संभव प्रयास करते थे। मारपीट करना, हत्या करना, लूट करके, आतंक फैलाकर कानून विरोधी एवं समाज विरोधी क्रियाकलापों में लिप्त होकर इनके द्वारा अवैध धन अर्जित किया जाता था। विवेचक द्वारा 25 अगस्त 2004 को न्यायालय में आरोपपत्र प्रेषित किया गया।
बुधवार को गैंगस्टर एक्ट की न्यायालय में मुकदमे की अंतिम सुनवाई हुई। अपर जिला जज अनिल कुमार सेठ ने विशेष लोक अभियोजक हरीश अवस्थी, अलंकार द्विवेदी व विश्वास त्रिपाठी की ओर से पेश की गई दलीलों को सुनने के बाद आरोपी ललई सिंह व पूत सिंह को दस दस वर्ष की सजा सुनाई।
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