मास्क-टीका ही सुरक्षा कवच: संक्रमण कम हुआ है, कोरोना का अंत नहीं, विशेषज्ञ बोले- बरतें पूरी सावधानी

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सार

 चिकित्सकों ने लोगों को चेताया कि कोरोना के साथ रहना सीखना होगा। ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल की आदत डाल लें और बच्चों-बुजुर्ग समेत सभी टीकाकरण जरूर करवा लें।  

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आगरा में संक्रमण घटा है, लेकिन कोरोना वायरस का अंत नहीं हुआ है। ये बहरुपिया है, जेनेटिक बदलाव कर मारक रूप में बार-बार दस्तक दे रहा है। इससे बचने के लिए टीकाकरण और मास्क ही असल में सुरक्षा कवच है। अमर उजाला के ‘सेहत है संग तो जीतेंगे हर जंग’ कार्यक्रम के तहत मंगलवार को हुए वेबिनार में एसएन मेडिकल कॉलेज और एटा मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों ने लोगों को यही आगाह किया। चिकित्सकों ने लोगों को चेताया कि कोरोना के साथ रहना सीखना होगा। ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल की आदत डाल लें और बच्चों-बुजुर्ग समेत सभी टीकाकरण जरूर करवा लें।  

अलग-अलग वैरिएंट के मिले वायरस

एटा मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. आशीष गौतम ने बताया कि कोरोना हर लहर में रूप बदलकर आया। पहली लहर में अल्फा, बीटा और दूसरी लहर में डेल्टा और तीसरी में ओमिक्रॉन वैरिएंट रहा। इसका पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में मिला। इसकी संक्रमण की दर डेल्टा से करीब सात गुना अधिक रही। इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न भी कहा गया। इसके नए वैरिएंट बी-टू की आशंका है। 

डेल्टा ने फेफड़े कर दिए थे खराब

एसएन के फिजीशियन डॉ. प्रभात अग्रवाल ने बताया कि पहली लहर में कोरोना डॉक्टरों के लिए नया था। इसे समझने में वक्त लगा। दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने हाहाकार मचाया। मरीजों में निमोनिया मिला, 50 से 85 फीसदी तक फेफड़े खराब मिले। ऑक्सीजन का स्तर तेजी से कम हो रहा था। तीसरी लहर में कैंसर, टीबी, एचआईवी समेत अन्य गंभीर बीमारी के कारण ही संक्रमितों को भर्ती करना पड़ा।

एसएन में जांच की सुविधा से आसान हुई लड़ाई 

एसएन के माइक्रो बायलोजिस्ट डॉ. आरती अग्रवाल ने बताया कि शुरूआत में नमूने लखनऊ जांच के लिए भेजे गए। एसएन में मशीनें लगी और आरटीपीसीआर जांच शुरू हुई। ये जांच का बेहतर तरीका है। इमरजेंसी के मरीजों की जांच को एंटीजन टेस्ट और ट्रूनैट अपनाई गई। ट्रूनैट से दो से चार घंटे और एंटीजन की तत्काल रिपोर्ट पता चल सकी।

बच्चों पर प्रभावी नहीं रहा वायरस, मानसिक प्रभाव पड़ा

एसएन के बाल रोग विभाग के डॉ. शिवप्रताप सिंह ने कहा कि तीनों लहरों में बच्चों पर वायरस प्रभावी नहीं रहा। लेकिन उनमें मानसिक विकार जरूर पनपे। तीसरी लहर में चार बच्चे ही भर्ती हुए। बच्चों को थकान, भूख कम लगना, दस्त होना, पेट में दर्द रहना है तो एक बार जांच भी करा सकते हैं। जो बच्चे स्वस्थ हैं, ऐसे 11 साल के बच्चे मास्क लगाएं। 

फल-हरी सब्जी खाएं, व्यायाम की डालें आदत

एसएन की फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना वायरस कब खत्म होगा, अभी ये कहा नहीं जा सकता। इससे बचने पर ज्यादा जोर रहे। हरी सब्जी, दालें, मौसमी फल खाने पर जोर दें। व्यायाम की भी आदत डालें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी। मास्क की आदत डालें और सामाजिक दूरी का पालन करें। 

कोरोना संक्रमण में सामान्य सर्जरी को टालना बेहतर

एसएन की सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. जूही सिंघल ने कहा कि बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों को पथरी, हार्निया समेत अन्य सामान्य ऑपरेशन को टाल दिए जाने चाहिए। दरअसल, सर्जरी के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, ऐसी स्थिति में संक्रमित होने पर उनमें खतरा अधिक रहता है।  

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एसएन में इलाज, ऑक्सीजन सबके पुख्ता इंतजाम

एसएन प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कहा कि कोरोना जैसे अंजान दुश्मन से डॉक्टरों समेत चिकित्सकीय स्टाफ ने डटकर मुकाबला किया। पहली लहर में सेटअप बनाने में समय जरूर लगा, लेकिन बेहद कम समय में बेहतर व्यवस्थाएं कीं। अभी 250 बेड का कोविड अस्पताल, चार ऑक्सीजन प्लांट, 100 बेड का आईसीयू, वेंटीलेटर, बाइपेप समेत अन्य उपकरणों के पुख्ता इंतजाम है। 

कोरोना से बचें, लड़ें लेकिन डरें नहीं

प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि कोरोना महामारी में बच्चों की पढ़ाई का अत्यधिक नुकसान हुआ। कोरोना से बचें, उससे लडे़ं लेकिन डरें नहीं। अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों को स्कूल भेजें, इससे उनका मानसिक और शैक्षणिक विकास अवरुद्ध नहीं होगा।
 

टीकाकरण सुरक्षा कवच हैं, कैसे अभिभावकों को समझाएं

होली पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य सोनिका चौहान ने विशेषज्ञों से पूछा कि 15-18 साल तक के बच्चों के टीकाकरण के लिए अभिभावक तैयार नहीं हैं। ऐसे में क्या करें। प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कहा कि अभिभावकों को बताएं कि टीकाकरण राष्ट्रीय अभियान है, इसके सफल परिणाम सामने हैं। सभी की सुरक्षा के लिए टीका जरूरी है, इस पर भी जागरूक न हो तो स्कूल नियमावली के जरिये सख्ती बरत सकते हैं।  

वेबिनार की ये रही मुख्य बातें:

– बच्चों समेत बुजुर्गों का टीकाकरण जरूर करवा लें।
– मास्क की आदत डालें, हाथों की सफाई पर जोर दें।
– फल, हरी सब्जी, दालें खाएं, व्यायाम नियमित करें।
– कोरोना के लक्षण पर क्वारंटीन हो जाएं, जांच कराएं।

विस्तार

आगरा में संक्रमण घटा है, लेकिन कोरोना वायरस का अंत नहीं हुआ है। ये बहरुपिया है, जेनेटिक बदलाव कर मारक रूप में बार-बार दस्तक दे रहा है। इससे बचने के लिए टीकाकरण और मास्क ही असल में सुरक्षा कवच है। अमर उजाला के ‘सेहत है संग तो जीतेंगे हर जंग’ कार्यक्रम के तहत मंगलवार को हुए वेबिनार में एसएन मेडिकल कॉलेज और एटा मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों ने लोगों को यही आगाह किया। चिकित्सकों ने लोगों को चेताया कि कोरोना के साथ रहना सीखना होगा। ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल की आदत डाल लें और बच्चों-बुजुर्ग समेत सभी टीकाकरण जरूर करवा लें।  

अलग-अलग वैरिएंट के मिले वायरस

एटा मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. आशीष गौतम ने बताया कि कोरोना हर लहर में रूप बदलकर आया। पहली लहर में अल्फा, बीटा और दूसरी लहर में डेल्टा और तीसरी में ओमिक्रॉन वैरिएंट रहा। इसका पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में मिला। इसकी संक्रमण की दर डेल्टा से करीब सात गुना अधिक रही। इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न भी कहा गया। इसके नए वैरिएंट बी-टू की आशंका है। 

डेल्टा ने फेफड़े कर दिए थे खराब

एसएन के फिजीशियन डॉ. प्रभात अग्रवाल ने बताया कि पहली लहर में कोरोना डॉक्टरों के लिए नया था। इसे समझने में वक्त लगा। दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने हाहाकार मचाया। मरीजों में निमोनिया मिला, 50 से 85 फीसदी तक फेफड़े खराब मिले। ऑक्सीजन का स्तर तेजी से कम हो रहा था। तीसरी लहर में कैंसर, टीबी, एचआईवी समेत अन्य गंभीर बीमारी के कारण ही संक्रमितों को भर्ती करना पड़ा।

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