World Bicycle Day: आंधी-तूफान, ठंड और बारिश में नहीं रूका पहिया, 80 की उम्र में भी नहीं टूटी साइकिल से यारी

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Even at the age of 80 friendship with bicycle did not break

साइकिल चलाते बुजुर्ग
– फोटो : नितिन गुप्ता

विस्तार

अलीगढ़ महानगर के सासनीगेट इलाके के बल्देव विहार निवासी प्रमोद बिहारी सक्सेना की उम्र 80 पार कर गई है, लेकिन साइकिल से उनकी यारी टूटने का नाम नहीं ले रही है। पैडल में दम लगाने की ताकत भले ही कम हो गई, लेकिन साथ नहीं छूट रहा। वे हर दिन कम से कम आठ घंटे साइकिल के सहारे रहते हैं। आंधी, तूफान, कड़ाके की ठंड और बरसात में उनकी साइकिल का पहिया कभी नहीं रूका है। कहते हैं कि इतनी उमर में चलाने की ताकत भी इसी साइकिल ने ही दी है। एक समाचार पत्र में कार्यरत प्रमोद पिछले करीब 50 वर्ष सक्रिय हैं। 

साइकिल चलाना 

हर साल तीन जून को दुनिया भर में विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके कई उद्देश्य और फायदे हैं। साइकिल हमारे पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं तो वहीं सेहत के लिए भी लाभकारी है। 

कई जबाव देती थी ट्रिन…ट्रिन 

नौरंगाबाद के 75 वर्षीय महेश चंद्र शर्मा करीब 45 साल से साइकिल चला रहे हैं। इस शौक के बारे में पूछने पर वे पुराने दिनों में खो गए। बोले, साइकिल की घंटी की ट्रिन-ट्रिन…की आवाज कई तरह का संकेत देती थी। पिता के दफ्तर से घर लौट आने, गर्मियों की दोपहर में ‘गुड्डी के बाल’ वाले के आने, डाकिए के आने, दोस्त की पुकार का संकेत हुआ करती थी। इस ट्रिन ट्रिन से कई तरह की संकेत मिल जाते थे। 

साइकिल की दुकान

कभी थी शान की सवारी 

सरोज नगर निवासी 74 वर्षीय अमर सिंह बताते हैं कि आज साइकिल सिर्फ फैशन है। कभी यह शान की सवारी थी। कहा जाता था कि दोपहिया में स्कूटर चलाने से पहले साइकिल सीखो। साइकिल में बैलेंस बनाना आ जाए तभी दूसरे वाहन चलाना। घर में यदि कोई मेहमान साइकिल लेकर आता तो उसकी साइकिल ले जाते और सीखने की कोशिश करते थे। कई बार गिरते, उठते, फिर चल देते। फ्रेम के बीच पैर घुसाकर कैची चलाते थे, क्योंकि गद्दी पर या फिर आगे के डंडे की तरफ बैठने पर लंबाई कम पड़ जाती थी। 

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तब सड़कें सुनसान मिलती थीं 

विकास नगर के 74 वर्षीय जगदीश प्रसाद शर्मा बताते हैं कि जब उन्होंने साइकिल चलाना सीखा तब सड़के सुनसान रहती थीं और साइकिलें ही नजर आती थी। स्कूटर एवं कार तो कभी-कभार ही दिखते थे। तब दुर्घटनाएं भी साइकिल से होती थी। पहले साइकिल चलाने से मनोरंजन भी होता था। खेल -खेल में साइकिल चलाना सीखने के बाद उस पर बैठकर सवारी करना खूब भाता था। लंबे समय से साइकिल चलाने से स्वस्थ्य हैं। 

साइकिल का युग वापस लौटा है। देश भर में इसकी बिक्री में इजाफा हुआ है। क्रेज बढ़ने से सामान्य के साथ ही गियर वाली साइकिलों की मांग बढ़ी है। कभी-कभी अपनी पसंद की साइकिल खरीदने के लिए इंतजार भी करना पड़ता है। इसका क्रेज बढ़ने का कारण स्वास्थ्य से भी जुड़ा है।व्यायाम का साधन होने के साथ इम्यूनिटी बढ़ने के लिए भी इसका उपयोग हो रहा है। लोग फिटनेस के लिए सुबह-शाम साइकिल चला रहे हैं। -गौतम सिंह, साइकिल दुकानदार

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