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नयी दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज प्रमुख उधार दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।
आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए श्री दास ने कहा कि मौद्रिक नीति कार्रवाई वांछित परिणाम दे रही है।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों को मजबूती से बनाए रखने के लिए समिति तुरंत और उचित रूप से नीतिगत कार्रवाई करना जारी रखेगी।
ज्यादातर विश्लेषकों ने उम्मीद की थी कि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। अप्रैल के ठहराव को छोड़कर, आरबीआई ने मई 2022 से रेपो दर को संचयी रूप से 250 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया
अपरिवर्तित रेपो दर का अर्थ है कि बैंक ऋण और जमा दरें अगली मौद्रिक नीति बैठक तक भी अपरिवर्तित रहने की संभावना है, क्योंकि वाणिज्यिक बैंक उपभोक्ताओं के लिए अपनी ब्याज दरों में आरबीआई की उधार दर को दर्शाते हैं।
भारत के केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 24 के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.2 प्रतिशत के पहले के अनुमान से घटाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया है। इस मामूली कमी के बावजूद, गवर्नर ने जोर देकर कहा कि हेडलाइन मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है और शेष वर्ष के लिए ऐसा ही रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “अभूतपूर्व वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत और लचीला है।”
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दृष्टिकोण पर आशावादी होने के साथ-साथ आरबीआई गवर्नर ने कई जोखिमों को भी चिन्हित किया। श्री दास ने कहा कि कमजोर बाहरी मांग, वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव, युद्ध के कारण भू-राजनीतिक तनाव और अल नीनो वित्त वर्ष 24 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए जोखिम पैदा करते हैं।
श्री दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था की उत्पादक आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करते हुए आरबीआई अपने तरलता प्रबंधन में चुस्त रहेगा।
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