Unnao News: मंदिर के निर्माणाधीन सीवर टैंक में गिरी बच्ची, मौत

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नवाबगंज। लालपुर गांव में शुक्रवार रात करीब नौ बजे मां के साथ ठाकुरद्वारा मंदिर में आरती के बाद मां के साथ लौट रही छह साल की बच्ची मंदिर की सीढि़यों से उतरते समय निर्माणाधीन सीवर टैंक में गिर गई। बेटी के गिरने के बाद महिला ने पुकार लगाई। कुछ लोगों ने बच्ची को निकालने का प्रयास किया। इसी दौरान पुलिस भी पहुंच गई। हालांकि जबतक बच्ची को निकाला जाता, उसकी मौत हो चुकी थी।

परिजनों ने मंदिर की प्रबंध समिति पर लापरवाही का आरोप लगाया है। असोहा थानाक्षेत्र के गांव असावर निवासी विक्रम, पत्नी शिल्पी, मां रामश्री, बेटे कार्तिक और बेटी शगुन के साथ सोहरामऊ थानाक्षेत्र के लालपुर गांव में किराए पर रहता है। वह दिल्ली में कबाड़ का कारोबार कर परिवार का पालन पोषण करता है।

शुक्रवार रात करीब करीब नौ बजे विक्रम की पत्नी शिल्पी बेटी शगुन (6) के साथ गांव के ही ठाकुर द्वारा मंदिर में रोजाना होनी वाली आरती में शामिल होने गई थी। मंदिर में आरती और पूजा समाप्त होने के बाद घर लौटते समय संतुलन बिगड़ने से शगुन गिर गई और मंदिर के बगल में निर्माणाधीन बीस फिट गहरे सीवर में गिर।

टैंक में पानी भरा होने से बच्ची की डूबकर मौत हो गई। शिल्पी ने आसपास के लोगों से मदद मांगी। कड़ी मशक्कत के बाद करीब बाद बच्ची को निकाला जा सका, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मृतका के मामा करन ने बताया कि मंदिर कैंपस में अंधेरा था। बच्ची के गिरने के बाद काफी देर तक लोग उसमें उतरे ही नहीं। आरोप है कि मंदिर समिति के प्रबंधक बलराम सोनी परिवार के साथ वहीं रहते हैं। उन्होंने बचाव के बजाय खुद मृत बच्ची की मां को ही गलत साबित करते रहे। लापरवाही का आरोप लगाया और विरोध करने पर आक्रोशित भी हुए।

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टैंक करीब 20 फिट गहरा होने और पानी से लबालब होने से कोई भी उसमें उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। ग्रामीणों ने मोटर पंप लगाकर पानी निकाला इसके बाद बच्ची को बाहर निकाला जा सका। तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। थानाध्यक्ष संदीप मिश्र ने बताया कि परिजनों की तहरीर पर शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। मंदिर के प्रबंधक को थाने में बिठाया गया है। अगर परिजन प्रबंधक के खिलाफ तहरीर देंगे तो कार्रवाई की जाएगी।

मृतका का पिता विक्रम दिल्ली में कबाड़ का काम करता है। शगुन कक्षा तीन की छात्रा थी। सोहरामऊ कस्बा के पास अच्छे स्कूल होने से वह परिवार को किराए पर रखता था। ताकि बच्चों की पढ़ाई हो सके। बेटी की मौत की सूचना पर वह शनिवार सुबह घर आया।

बच्ची शगुन एक सप्ताह से असोहा के कांथा गांव निवासी मामा करन के घर पर थी। मां को याद आने से उन्होंने शुक्रवार को ही बेटी को बुला लिया था। और रात में मंदिर में आरती में साथ लेकर गई थी। उसे नहीं पता था कि जिस बच्ची को वह इतना प्यार करती है वह हमेशा के लिए उसे छोड़ कर चली जाएगी। बेटी की मौत से वह बेहाल है।

ग्रामीणों का कहना था कि निर्माणाधीन सीवर टैंक में जब काम नहीं हो रहा था तो मंदिर प्रबंधन को उसे या तो पटरे या फिर कुछ ऐसी चीज से ढकवाना चाहिए था कि किसी प्रकार की दुर्घटना न हो। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया और एक बच्ची को अपनी जान गंवानी पड़ी।

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