मौसम की आंख मिचौली : कहीं सूखे की मार तो कहीं बाढ़ ने किया बेहाल, मचा हाहाकार

0
308
कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे के हालात
कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे के हालात

इस बार मौसम की आंख मिचौली से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। कहीं सूखे की मार से किसान बेहाल हैं, कहीं बाढ़ ने ऐसा कहर बरपा रखा है कि लोग बेघर हो चुके हैं। प्रकृति की मार ने जैसे सारे रिकार्ड तोड़ने का मन बना लिया है। गर्मी हो, बारिश हो, सर्दी हो या आसमानी आफत। आपको बताते चलें कि प्रदेश के कुछ जिलों में सूखे की मार पड़ रही है तो कुछ जिलों में नदियां इस कदर उफान पर आ गई हैं कि बाढ़ से हाहाकार की स्थिति बन चुकी है। कई जगह से लोग पलायन कर तटबंधों पर डेरा डाले हैं तो कई जगह ग्रामीण पलायन की तैयारी कर रहे हैं। उधर, मौसम विभाग का कहना है कि इस सप्ताह बारिश होगी। ऐसे में इस बार लोग बाढ़ और सूखे दोनों से ही जूझ रहे हैं।

बदायूं में गंगा का जल स्तर 12 साल का रिकार्ड तोड़ने के बाद अब स्थिर है। फर्रुखाबाद व नरौरा बुलंदशहर में भी यही आलम है। प्रयागराज में यमुना उफान मार रही है। लखीमपुर खीरी में शारदा में पानी लगातार बढ़ रहा है। एनसीआर क्षेत्र में यमुना में खूब पानी है और तटीय गांवों में बाढ़ के हालात हैं। बहराइच में सरयू में उतार-चढ़ाव जारी हैं जिससे बाढ़ का खतरा बना है। यहां सरयू खतरे के निशान 106.070 मीटर को लांघ गई थी और दो सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। अब यह एक सेंटीमीटर नीचे बह रही है। इससे बाढ़ ग्रस्त इलाके के लोगों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। वहीं दूसरी ओर जिले में इस बार औसत से 25 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो सूखे जैसे हालात बन जाएंगे।

यह भी पढ़ें -  CUET PG 2022 शेड्यूल cuet.nta.nic.in पर जारी, इस तारीख से परीक्षा

सीतापुर में सरयू व शारदा नदियों में तेजी से पानी बढ़ रहा है, पिछले सप्ताह सरयू का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। इससे महमूदाबाद तहसील क्षेत्र के 30 गांव बाढ़ के पानी से घिर गए थे। हालांकि जलस्तर में 30 सेमी कमी आने से रास्तों और गांवों के आसपास भरा पानी घट गया है लेकिन लगभग 400 बीघा खेत बाढ़ की चपेट में हैं। किसानों ने कहा बरसात हुई है। इससे धान की रोपाई में फायदा मिला है।

बाराबंकी में बाढ़ से रामसनेहीघाट, सिरौली गौसपुर और रामनगर तहसील के 100 से अधिक गांव प्रभावित होते हैं। पिछले करीब 40 दिन से सरयू नदी का जलस्तर घट बढ़ रहा है। नदी किनारे बसे करीब 35 गांव के ग्रामीण अपना बोरिया-बिस्तर बांध कर बैठे हैं। एक दर्जन गांव नदी के उस पार बसे हैं जहां तक राहत पहुंचना मुश्किल है। ऐसे में ये पलायन को तैयार हैं।

अमेठी जिले में जुलाई माह में 58.54 प्रतिशत बरसात हुई है। कई दिनों से बारिश नहीं होने से खरीफ सीजन की फसल सूखने के कगार पर पहुंच रही थी लेकिन शनिवार को 8.8 मिमी तो रविवार दोपहर बाद हुई झमाझम बरसात ने किसानों को वर्तमान में सूखे की परेशानी से निजात दिला दी है। गोमती के तटीय क्षेत्र में जलस्तर से बढ़ने से तराई में जलभराव की समस्या है। लेकिन वह बाढ़ जैसी स्थिति अभी नहीं है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here