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सार
आगरा में बिना मानक पूरे किए दौड़ रहीं एंबुलेंस मरीजों की जान के लिए खतरा बन सकती हैं। इसके बावजूद इन पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
ऊपर हूटर लगाया, आगे-पीछे उल्टा एंबुलेंस लिखा और बन गई एंबुलेंस। इनमें न तो ऑक्सीजन सिलिंडर हैं और न ही मेडिकल किट व अंबू बैग। ऐसे ही बिना मानक पूरे किए मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहीं एंबुलेंस उनके जान के लिए भी खतरा बनी हुईं हैं। आगरा में इन एंबुलेंस का ठिकाना यमुनापार, दिल्ली गेट, एसएन इमरजेंसी, बोदला रोड पर है। बिना पैरामेडिकल स्टाफ के ही ये एंबुलेंस धड़ल्ले से चल रही हैं। आरटीओ और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
प्रभारी को निर्देशित किया
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि एंबुलेंस के मानकों की जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस प्रभारी डॉ. वीरेंद्र भारती को को निर्देशित किया है। वह एंबुलेंस की जांच कर रिपोर्ट देंगे। अगर आरटीओ टीम गठित करें तो उसमें एक चिकित्साधिकारी भी तय कर देंगे, जिससे उन पर विभागीय कार्रवाई होगी।
दिए जाएंगे नोटिस
आरटीओ (प्रवर्तन) के केडी सिंह ने बताया कि एंबुलेंस समेत जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहनों की नियमित चेकिंग की जाती है। हाई सिक्योरिटी प्लेट की बाध्यता और चुनाव के कारण कुछ गाड़ियों की फिटनेस बाकी रह गई है। इन्हें नोटिस दिए जाएंगे। सड़कों पर जांच अभियान भी चलाया जाएगा।
दवाओं की किट नहीं
रामबाग चौराहा के पास स्थित एक अस्पताल के बाहर शुक्रवार को सुबह 11:40 बजे एक एंबुलेंस खड़ी थी। इसकी खिड़की खुली हुई थी। अंदर झांकने पर देखा कि यह एंबुलेंस सिर्फ नाम की थी। इसकी सीटें फटी हुईं थीं। इसमें मेडिकल किट बॉक्स और ऑक्सीजन सिलिंडर, अग्निशमन यंत्र नहीं था। एंबुलेंस की बॉडी जगह-जगह से गली हुई थी, कई जगह वेल्डिंग भी की गई थी।
सिलिंडर-स्ट्रेचर तक नहीं
एसएन मेडिकल कॉलेज में सुबह 10:50 बजे मरीज को लेकर आई एंबुलेंस भी खटारा हाल में मिली। मरीज को इमरजेंसी में छोड़ने के बाद एंबुलेंस बाहर जाकर खड़ी हो गई। देखने पर पता लगा कि इसमें अग्निशमन सिलिंडर, दवाओं का किट बॉक्स नहीं था। सीट फटी थी, स्ट्रेचर भी नहीं था। लाइट टूटी हुई थी। एंबुलेंस में कई जगह से जंग लगी हुई थी। फिटनेस खराब थी।
एंबुलेंस के लिए तीन वर्ग में मानक होते हैं
वर्ग ए : चालक का नाम, कर्मचारी संख्या, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, पैरामेडिकल स्टाफ, शैक्षणिक योग्यता, लॉग बुक, पंजीकरण प्रमाण पत्र, बीमा, पेशेंट केयर बुक होनी चाहिए।
वर्ग बी : एंबुलेंस नंबर, वार्मिंग लाइट, सायरन, अग्निशमन सिलिंडर, मास्क, स्ट्रेचर, सक्शन डिवाइस, बीपी मापक, आला, एयरबैग, ऑक्सीजन सिलिंडर, मरीज को ऑक्सीजन देने के लिए अंबू बैग होना चाहिए।
वर्ग सी : रुई, सेवलॉन, बीटाडाइन, मास्क, सर्जिकल ग्लव्स, डिस्पोजल सक्शन पंप, ड्रिप सेट, डीएनएस फ्लूड, ओरआएस, दवा-इंजेक्शन समेत 19 तरह की दवाएं होनी चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस के नोडल अधिकारी डॉ. वीरेंद्र भारती के अनुसार
विस्तार
ऊपर हूटर लगाया, आगे-पीछे उल्टा एंबुलेंस लिखा और बन गई एंबुलेंस। इनमें न तो ऑक्सीजन सिलिंडर हैं और न ही मेडिकल किट व अंबू बैग। ऐसे ही बिना मानक पूरे किए मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहीं एंबुलेंस उनके जान के लिए भी खतरा बनी हुईं हैं। आगरा में इन एंबुलेंस का ठिकाना यमुनापार, दिल्ली गेट, एसएन इमरजेंसी, बोदला रोड पर है। बिना पैरामेडिकल स्टाफ के ही ये एंबुलेंस धड़ल्ले से चल रही हैं। आरटीओ और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
प्रभारी को निर्देशित किया
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि एंबुलेंस के मानकों की जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस प्रभारी डॉ. वीरेंद्र भारती को को निर्देशित किया है। वह एंबुलेंस की जांच कर रिपोर्ट देंगे। अगर आरटीओ टीम गठित करें तो उसमें एक चिकित्साधिकारी भी तय कर देंगे, जिससे उन पर विभागीय कार्रवाई होगी।
दिए जाएंगे नोटिस
आरटीओ (प्रवर्तन) के केडी सिंह ने बताया कि एंबुलेंस समेत जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहनों की नियमित चेकिंग की जाती है। हाई सिक्योरिटी प्लेट की बाध्यता और चुनाव के कारण कुछ गाड़ियों की फिटनेस बाकी रह गई है। इन्हें नोटिस दिए जाएंगे। सड़कों पर जांच अभियान भी चलाया जाएगा।
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