[ad_1]
ख़बर सुनें
उन्नाव। शहर के कब्बाखेड़ा निवासी सूबेदार का बेटा विशाल भी यूक्रेन में फंसा है। वह 23 फरवरी को ही वहां पहुंचा था। पढ़ाई शुरू करता उससे पहले ही रूस ने हमला कर दिया। छात्र का कहना है कि तीन दिन से खाना, पानी नहीं मिला है।
सिकंदरपुर कर्ण ब्लाक के गांव रामसिंहखेड़ा के मूल निवासी धर्मेंद्र कुमार थल सेना में सूबेदार पद पर राजस्थान बाड़मेर में तैनात हैं। धर्मेंद्र ने बताया कि उनका बड़ा बेटा विशाल एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गया था। उसने बुकेनियम स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में जनरल सर्जन कोर्स में दाखिला लिया। उसकी पढ़ाई शुरू होती, इससे पहले ही रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। युद्ध छिड़ने से विशाल वहीं पर फंस गया। बेटा इस समय वहीं हॉस्टल में है। बेटे के यूक्रेन में फंसे होने की सूचना राज्य राहत आयुक्त को दी। जिसके बाद डीएम ने उनसे संपर्क किया है। मां ममता ने बताया कि सोमवार सुबह फोन पर बात हुई थी। मोबाइल चार्ज करने और पानी तक की समस्या है।
पांच दिन बाद भी हिृति खारकीव में फंसी
औरास। ब्लाक के दिपवल गांव निवासी जितेंद्र सिंह की बेटी हिृति यूक्रेन के खारकीव शहर से पांच दिन बाद भी नहीं निकल पाई है। खारकीव के अलावा अन्य जगहों पर रह रहे बच्चों को स्टेशन पहुंचने के लिए कहा गया है। यहां से स्पेशल ट्रेन से इन बच्चों को रोमानिया या पोलैंड बार्डर से होकर निकाला जाएगा। (संवाद)
कुलदीप बोले, आज किया जाएगा एयरलिफ्ट
नवाबगंज। भारतीय मेडिकल छात्रों का एक जत्था रोमानिया पहुंच चुका है। वहां की सरकार ने इन छात्रों को कॉलेज कैंपस में रोका है। जहां पर इनके खाने पीने का प्रबंध किया गया है। सोमवार को परिजनों को कुईथर निवासी कुलदीप कुमार वर्मा ने ये जानकारी दी। छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए डॉक्टरों की टीम लगाई गई है। बताया कि सुरक्षा कर्मियों ने मंगलवार शाम या बुधवार सुबह तक एयरलिफ्ट किए जाने की बात कही है। (संवाद)
बंकर से हॉस्टल में किया गया शिफ्ट
पुरवा। यूक्रेन में बंकर में फंसी पश्चिम टोला निवासी छात्रा श्रुति ने बताया कि तीसरे दिन सोमवार को मामूली तौर पर कुछ राहत मिली। इसके बाद सभी को हॉस्टल में शिफ्ट करने की कवायद की गई। छात्रा के पिता अरुण गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मंत्रियों को भेजे जाने की जानकारी मिलने से कुछ उम्मीद जगी है। बेटी की जल्द सुरक्षित स्वदेश वापसी हो जाएगी। (संवाद)
उन्नाव। शहर के कब्बाखेड़ा निवासी सूबेदार का बेटा विशाल भी यूक्रेन में फंसा है। वह 23 फरवरी को ही वहां पहुंचा था। पढ़ाई शुरू करता उससे पहले ही रूस ने हमला कर दिया। छात्र का कहना है कि तीन दिन से खाना, पानी नहीं मिला है।
सिकंदरपुर कर्ण ब्लाक के गांव रामसिंहखेड़ा के मूल निवासी धर्मेंद्र कुमार थल सेना में सूबेदार पद पर राजस्थान बाड़मेर में तैनात हैं। धर्मेंद्र ने बताया कि उनका बड़ा बेटा विशाल एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गया था। उसने बुकेनियम स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में जनरल सर्जन कोर्स में दाखिला लिया। उसकी पढ़ाई शुरू होती, इससे पहले ही रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। युद्ध छिड़ने से विशाल वहीं पर फंस गया। बेटा इस समय वहीं हॉस्टल में है। बेटे के यूक्रेन में फंसे होने की सूचना राज्य राहत आयुक्त को दी। जिसके बाद डीएम ने उनसे संपर्क किया है। मां ममता ने बताया कि सोमवार सुबह फोन पर बात हुई थी। मोबाइल चार्ज करने और पानी तक की समस्या है।
पांच दिन बाद भी हिृति खारकीव में फंसी
औरास। ब्लाक के दिपवल गांव निवासी जितेंद्र सिंह की बेटी हिृति यूक्रेन के खारकीव शहर से पांच दिन बाद भी नहीं निकल पाई है। खारकीव के अलावा अन्य जगहों पर रह रहे बच्चों को स्टेशन पहुंचने के लिए कहा गया है। यहां से स्पेशल ट्रेन से इन बच्चों को रोमानिया या पोलैंड बार्डर से होकर निकाला जाएगा। (संवाद)
कुलदीप बोले, आज किया जाएगा एयरलिफ्ट
नवाबगंज। भारतीय मेडिकल छात्रों का एक जत्था रोमानिया पहुंच चुका है। वहां की सरकार ने इन छात्रों को कॉलेज कैंपस में रोका है। जहां पर इनके खाने पीने का प्रबंध किया गया है। सोमवार को परिजनों को कुईथर निवासी कुलदीप कुमार वर्मा ने ये जानकारी दी। छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए डॉक्टरों की टीम लगाई गई है। बताया कि सुरक्षा कर्मियों ने मंगलवार शाम या बुधवार सुबह तक एयरलिफ्ट किए जाने की बात कही है। (संवाद)
बंकर से हॉस्टल में किया गया शिफ्ट
पुरवा। यूक्रेन में बंकर में फंसी पश्चिम टोला निवासी छात्रा श्रुति ने बताया कि तीसरे दिन सोमवार को मामूली तौर पर कुछ राहत मिली। इसके बाद सभी को हॉस्टल में शिफ्ट करने की कवायद की गई। छात्रा के पिता अरुण गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मंत्रियों को भेजे जाने की जानकारी मिलने से कुछ उम्मीद जगी है। बेटी की जल्द सुरक्षित स्वदेश वापसी हो जाएगी। (संवाद)
[ad_2]
Source link