उन्नाव, 31 मई। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक को कोल्ड स्टोरेज का प्रमाण पत्र देने के नाम पर 50 हजार की रिश्वत लेने पर बीते मंगलवार एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार किया था। लिपिक के बयानों के आधार पर कार्यालय में तैनात वैज्ञानिक सहायक पर भी रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके बाद से प्रदूषण नियंत्रण विभाग में अफरा-तफरी का माहौल है। वहीं विभाग के अधिकारी समेत अन्य कर्मचारी भी अपना नाम आने के डर से खुद को बचाने की जुगत में लगे हैं।
बीघापुर क्षेत्र के बद्री विशाल फूड्स लिमिटेड के संचालक विजय मिश्र ने प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात लिपिक विजय कुमार पर अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए 50,000 की घूस मांगने की शिकायत एंटी करप्शन टीम लखनऊ से की थी। बीते मंगलवार एंटी करप्शन की टीम प्रभारी नुरुल हुदा खान के नेतृत्व में पहुंची थी और लिपिक को 50,000 रुपयों के साथ रंगेहाथ पकड़ा था। इसके बाद टीम ने आरोपी लिपिक को दही थाने लाकर पूछताछ की थी। इसमें लिपिक ने विभाग में वैज्ञानिक सहायक के पद पर तैनात पवन मिश्रा का भी नाम लिया था। उसने बताया था कि पवन मिश्रा के कहने पर ही उसने रुपये लिए थे। इसके बाद टीम प्रभारी ने अपनी तहरीर में पवन मिश्रा का नाम भी शामिल किया था। पुलिस ने दोनों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी।
देर रात टीम पकड़े गए मुख्य आरोपी लिपिक को लेकर लखनऊ चली गई थी। इसके बाद से प्रदूषण कार्यालय में सन्नाटा पसरा है। अधिकारी हों या कर्मचारी सभी चौकन्ना नजर आ रहे हैं। वहीं, मामले में कहीं अपना नाम न आ जाए इससे बचने को विभाग के अधिकारी से लेकर अन्य कर्मचारी जुगत में भी लगे हुए हैं।
निष्पक्ष जांबाक्सच हो तो विभाग में और भी मिलेंगे झोल
पहले लिपिक के पकड़े जाने फिर विभाग के सहायक वैज्ञानिक का नाम सामने आने के बाद हालांकि, अन्य अधिकारी-कर्मचारी फिलहाल चुप्पी साधे हैं। लेकिन, विभागीय सूत्र बताते हैं कि अगर एंटी करप्शन टीम पूरी तरह से निष्पक्ष जांच कर ले तो यहां पर और भी झोल मिले सकते हैं।
एनओसी से लेकर विभाग से संबंधित हर काम तय हैं रेट
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में पूर्व में तैनात एक अधिकारी के मुताबिक, विभाग द्वारा जारी होने वाली हर एनओसी के साथ अन्य कार्यों का रेट तय है। जो लोग लगातार अपना उद्योग संचालित कर रहे हैं वे समय पर तय रकम कार्यालय पहुंचा देते हैं।
नीचे से ऊपर तक के अफसरों की रहती है मिलीभगत
जिले में संचालित छोटे-बड़े सैकड़ों उद्योगों, कोल्ड स्टोरेज, ईंट-भट्ठों के अलावा जिले में लगे हर प्रकार के ट्रीटमेंट प्लांट से विभाग को तय रकम पहुंचती है। यह रकम नीचे से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ ही लखनऊ तक के अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है।