आगरा की शक्ति: बेटी के इलाज के लिए थाम ली ई-रिक्शा का स्टेयरिंग, पढ़ें एक मां के संघर्ष का सफर

0
28

[ad_1]

अमर उजाला ब्यूरो, आगरा
Published by: मुकेश कुमार
Updated Sun, 06 Mar 2022 12:10 AM IST

सार

आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। ताजनगरी में ऐसी कई महिलाएं है जिन्होंने अपने संघर्ष की बदौलत नई पहचान बनाई है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अमर उजाला ‘आगरा की शक्ति’ का परिचय करा रहा है। इन्हीं में से एक हैं सरिता, जिनका संघर्ष दूसरों के लिए नजीर है।  

सरिता उपाध्याय

सरिता उपाध्याय
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

विस्तार

आगरा के चर्च रोड निवासी सरिता उपाध्याय को जब पता कि उनकी बेटी के दिल में छेद है तो उन्होंने किसी से मदद मांगने की बजाय ई रिक्शा की स्टेयरिंग थाम ली। ई रिक्शा चलाने से होने वाली आमदनी को बच्ची के इलाज के लिए खर्च किया। सरिता का संघर्ष उन लोगों के लिए नजीर है, जो हालातों से हार मान लेते हैं। 

सरिता बताती हैं कि पति अमित उपाध्याय मजदूरी करते हैं। उनकी आमदनी से केवल घर ही चल पाता है। छह माह की बेटी गायत्री का इलाज नहीं हो पा रहा था। लोगों से गुहार लगाने की जगह उन्होंने परिवार की आय बढ़ाने की ठानी। वर्ष 2016 में खुद के लिए ई-रिक्शा किराये पर लिया और चलाने लगीं। पहले लोगों ने टोका लेकिन अब सभी सराहना करते हैं।

संघर्ष: आसान नहीं था यह सफर

सरिता ने बताया कि शुरुआत आसान नहीं थी। ई-रिक्शा चलाना सीखा। दिक्कतें आईं लेकिन हार नहीं मानी। ताने भी सुनने के लिए मिले। हिम्मत टूटती तो बेटी के बारे में सोच लेती। शुरू में सवारी भी उतनी नहीं मिलती थी। छह माह की बेटी को पेट से बांधकर भगवान टॉकीज से राजा की मंडी तक ई रिक्शा पर कई चक्कर लगाती। कुछ समय बाद लोगों ने मेरे रिक्शा में बैठने से झिझकना छोड़ दिया तो कमाई भी बढ़ गई।  

सरिता का सपना

सरिता ने बताया कि वह सामाजिक संगठनों के साथ भी जुड़ गई हैं। महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए सामाजिक संस्था बनाकर काम करने का सपना है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here