होली 2022: बरसाना में अलौकिक लठामार होली देख झूम उठे श्रद्धालु, राधारानी के गांव में छाई सतरंगी छटा

0
93

[ad_1]

मथुरा के बरसाना में शुक्रवार को लठामार होली का अद्भुत आनंद बरसा। हुरियारिनों ने जब नंदगांव के हुरियारों पर प्रेमपगी लाठियां बरसाईं तो रंगों की बौछार से राधारानी के गांव में सतरंगी छटा छा गई। बरसाना की गलियों में ध्वज पताका के आते ही हुरियारिनों की लाठियां हुरियारों पर बरसने लगती हैं। एक-एक हुरियारे पर पांच-छह हुरियारिन घूंघट की ओट से लाठियों की चोट करती हैं। भंग की तरंग में झूमते हुरियारे उन प्रहारों को कभी मयूरी नृत्य करके तो कभी लेटकर खुशी-खुशी सह जाते हैं। कभी ढाल से खुद को बचाते हैं। लाठियों के प्रहार को और तेज करने के लिए हुरियारे शब्द बाण छोड़ते हैं। हंसी-ठिठोली करते हैं। इस दौरान छतों से बरसता रंग होली के इस दृश्य के साक्षी लोगों को तरबतर कर देता है। 

वसंत पंचमी से जिस बेला का इंतजार बरसाना और नंदगांव के गोप-गोपियों को था आखिर वो बेला शुक्रवार को आई। एक ओर नंदगांव के ग्वाल हाथों में ढाल और सिर पर सुरक्षा कवच पगड़ी पहने थे तो सामने चमचमाती लाठियां लिए हुरियारिन थीं। हुरियारों की ओर से शब्द बाण छोडे़ जा रहे थे, जिसका जवाब हुरियारिन प्रेमपगी लाठियां बरसाकर दे रही थीं। इस अवसर पर राधारानी मंदिर पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। 

बरसाना के लोगों को सूचना मिली कि पीली पोखर पर नंदगांव के हुरियारे सजधज कर पहुंच चुके हैं। भांग, ठंडाई, फल, पकौडे़ आदि से उनका स्वागत किया गया। पीरी पोखर पर हुरियारों ने लाठियों से बचने का इंतजाम किया। सिर पर पगड़ी बांधी। ढालों की रस्सी और हत्थे कसकर बांधे। किसी ने अपनी पगड़ी मोर पंख से सजाई तो किसी ने पत्तों और दूल्हा वाली पगड़ी से। शाम करीब साढे़ चार बजे नंदगांव के हुरियारे बुजुर्गों के पैर छूकर और धोती ऊपर कर ऊंचागांव वाले पुल के समीप एकत्रित हो गए। हंसी-ठिठोली करते हुरियारे श्रीजी मंदिर पहुंचते हैं।

यह भी पढ़ें -  UP Election 2022: मथुरा के मांट में 'कांटा लगा' फेम शेफाली जरीवाला ने बसपा प्रत्याशी के लिए मांगे वोट

श्रीजी से कान्हा संग होली खेलने का आग्रह करते हैं। नंदगांव-बरसाना के समाजियों द्वारा समाज गायन किया गया। मंदिर की छतों पर ड्रमों में पहले से तैयार किया गया टेसू के फूलों का रंग नंदगांव के हुरियारों के स्वागत के लिए पिचकारियों, बाल्टियों से उडे़ला गया। टेसू के फूल बरसाए। गुलाल के सतरंगी बादल घुमड़-घुमड़ कर लठामार होली का आगाज कराते रहे। समाज गायन का दौर करीब एक घंटे से अधिक चलता रहा। 

हुरियारों के टोल के टोल रंगीली गली होते हुए दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। घरों के द्वारों पर सोलह शृंगारों से सुसज्जित, हाथ में चमचमाती लाठी लेकर खड़ी हुरियारिनों को देखकर मन मचल जाता है। अब रंग के बाद पंचमवेद की वाणी के शब्दों की बरसात होने लगती है। हंसी, ठिठोली, साखी, नृत्य हुरियारों-हुरियारिनों की ओर से होने लगता है। हुरियारे रूप, रंग, पहनावा के आधार पर ठिठोली करना शुरू कर देते हैं। वहीं हुरियारिन भी लाठियों से प्रत्युत्तर देती हैं। हंसी-ठिठोली के बाद रसियाओं, साखिओं पर नृत्य होता है।

लठामार होली के इस रंग को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग बरसाना में उमड़े। यहां की गलियां श्रद्धालुओं से भर गईं। महिला-पुरुष और बच्चों की टोलियां होली के रंग में रंग गईं। दोपहर के वक्त रंगीली गली से शुरू हुआ होली के उत्सव का यह दौर देर शाम तक यूं ही चलता रहा। हुरियारिनों की लाठियां के प्रहार हुरियारों की ढाल के साथ भक्तों पर बरसते रहे। हुरियारिनों की लाठियों के प्रहारों से बचने के लिए भक्तजन इधर से उधर दौड़ते नजर आए। होली के इस आनंद में संपूर्ण वातावरण रंग बिरंगा हो गया।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here