प्रयागराज : विकास पुरुष के नाम से पहचान बनाने वाले बहुगुणा, डॉ. जोशी के बाद अब केशव की मिली पराजय

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सार

शुरूआत प्रयागराज की सांसद के पिता एवं पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा से की जाए तो उन्होंने प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में ढेरों विकास कार्य किए। नैनी में कई उद्योग उन्हीं के कार्यकाल में आए।

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प्रयागराज में अपने काम के दम पर पहचान बनाने वालों में पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम लिया जाता है। इन तीनों ही नेताओं ने प्रयागराज (कौशाम्बी सहित) में ढेरों विकास कार्य किए।

उनके द्वारा किए गए विकास कार्य आज भी नजीर बने हुए हैं। खास बात यह है कि यह तीनों ही नेता ऐसे वक्त चुनाव हारे, जब उनके हारने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। इतना ही नहीं, इन तीनों की हार भी ऐसे प्रत्याशियों से हुई जो अपना पहला लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे।

केशव ने पांच सालों में किया काफी विकास

शुरूआत प्रयागराज की सांसद के पिता एवं पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा से की जाए तो उन्होंने प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में ढेरों विकास कार्य किए। नैनी में कई उद्योग उन्हीं के कार्यकाल में आए। तब सैकड़ों को रोजगार भी मिला, लेकिन 1984 के चुनाव में उन्हें बॉलीवुड के शंहशाह कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन से लोकसभा चुनाव में शिकस्त मिल गई।

अमिताभ का वह पहला चुनाव था। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी जिन्होंने प्रयागराज को नया यमुना पुल, ट्रिपलआईटी समेत कई अन्य सौगातें दीं, उन्हें 2004 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे रेवती रमण सिंह के हाथों शिकस्त मिली।

पहले ही चुनाव में पल्लवी को मिली जीत
इन दोनों ही नेताओं की हार तब चर्चा का विषय रही। ठीक इसी तर्ज पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जिन्होंने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान प्रयागराज और कौशाम्बी को ढेरों सौगातें दीं। दोनों ही जिलों में कई पुल, रेल फ्लाई ओवर आदि बनवाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

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उन्हें भी सिराथू से अपना दल कमेरावादी के टिकट पर पहला चुनाव लड़ रहीं पल्लवी पटेल के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। जबकि मतगणना होने के पूर्व यही माना जा रहा था कि केशव मौर्य इस सीट से भारी अंतर से चुनाव जीतेेंगे। सिराथू में हुई उनकी हार से हर कोई अचरज में हैं ये आखिर हुआ कैसे। 

प्रयागराज से लड़ते चुनाव तो बड़ा होता जीत का फासला
डिप्टी सीएम की हार के बाद तमाम भाजपाई सोशल मीडिया के माध्यम से अपना दर्द तो जाहिर कर ही रहे हैं, साथ ही यह भी कह रहे हैं कि अगर वह प्रयागराज की उत्तरी विधानसभा या फिर फाफामऊ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते तो तस्वीर कुछ और ही होती।

पूर्व प्रदेश कार्य समिति सदस्य सुबोध सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि डिप्टी सीएम को उत्तरी विधानसभा से ही चुनाव लड़ना चाहिए था। यहां से वह निश्चित ही भारी अंतर से जीतते। पार्षद पवन श्रीवास्तव ने कहा कि डिप्टी सीएम ने प्रयागराज और कौशांबी में ढेरों विकास कार्य करवाएं। हम सभी को उम्मीद थी कि वह उत्तरी या फाफामऊ से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन सिराथू से चुनाव लड़ने का फैसला हम लोगों के लिए चौंकाने वाला था।

विस्तार

प्रयागराज में अपने काम के दम पर पहचान बनाने वालों में पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम लिया जाता है। इन तीनों ही नेताओं ने प्रयागराज (कौशाम्बी सहित) में ढेरों विकास कार्य किए।

उनके द्वारा किए गए विकास कार्य आज भी नजीर बने हुए हैं। खास बात यह है कि यह तीनों ही नेता ऐसे वक्त चुनाव हारे, जब उनके हारने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। इतना ही नहीं, इन तीनों की हार भी ऐसे प्रत्याशियों से हुई जो अपना पहला लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे।

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