कभी नेहरू और गांधी परिवार की कर्मभूमि रहे फूलपुर में अब कमल खिल गया है। इलाके को लोगों में चर्चा है कि भाजपा की नीतियों के कारण पार्टी दूसरी बार सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही है। क्षेत्र की लोगों की मानें तो चुनाव में मोदी का जादू चला और सोरांव के बेला कछार में मोदी की सभा होने के बाद स्थित में एकाएक परिवर्तन देखा गया जो मतों में बदल गया। अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त रहे मुज्तबा सिद्दीकी को कांटे के मुकाबले में अंतत: हार का सामना करना पड़ा।
डिग्री कॉलेज के रिटायर्ड एक शिक्षक का कहना है कि मौजूदा विधायक प्रवीण पटेल की छवि एक साफ सुथरे नेता की है जो उन्होंने कायम रखी है। सबके लिए सुलभ होने के चलते उनके प्रति लोगों में कोई खास नाराजगी नहीं थी, हालांकि पूरे प्रदेश में जिस तरह से सत्ता विरोधी लहर की बात कही जा रही थी वह जमीनी हकीकत से काफी दूर थी यही कारण है भाजपा अपना इतिहास दोहराने में सफल रही।
मुसलमानों और यादवों का मिला भरपूर साथ
अधिवक्ता सुरेश पांडेय कहते हैं कि दूसरे स्थान पर रहे पूर्व विधायक मुज्तबा सिद्दीकी को मुसलमानों और यादवों का भरपूर साथ मिला और वह भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाने में काफी हद तक सफल रहे, लेकिन मोदी की सभा, राशन वितरण, समूह की महिलाओं को योजना का लाभ मिलने आदि के चलते भाजपा भी कमरोज स्थिति में नहीं रही। भाजपा की जो कुछ कमी थी उसे बसपा की कमजोरी ने दूर कर दिया और दलितों का काफी वोट भाजपा में शिफ्ट हुआ जिससे प्रवीण न सिर्फ टक्कर में रहे बल्कि अंतत : जीतने में सफल हुए।
इसके विपरीत सपा नेता अनिल यादव का कहना है कि हमने चुनाव डंके की चोट पर जीत लिया था, हमारे प्रत्याशी को प्रशासन ने हरवा दिया। पोस्टल बैलेट में मिले सपा के मतों को भाजपा के खाते में जोड़ दिया गया। मतगणना के पहले धांधली का भी उन्होंने प्रशासन पर आरोप मढ़ा।
बसपा का वोटबैंक बना भाजपा के लिए सहारा
समाजसेवी राम आधार का कहना है कि मायावती के वोटबैंक के सहारे भाजपा की नैया पार हुई है। बसपा से मोहभंग के कारण बड़ी संख्या में दलितों और अन्य बिरादरी के वोटों ने फ्री राशन और सिलिंडर के साथ भाजपा की नीतियों के कारण मोदी और योगी के चेहरे पर वोट डाला जिसका फायदा पटेल को मिला और वह लगातार दूसरी बार जीतने में सफल रहे।
फूलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा और सपा में शुरू से ही कांटे का मुकाबला रहा। तीसरे चक्र की गिनती से ही सपा-भाजपा के बीच कांटे की टक्कर शुरू हो गई। इस चक्र में प्रवीण को 9851 और सपा के मु को 9285 मत मिले। लेकिन पांचवें चरण इस मामूली अंतर को पार कर सपा ने बढ़त बना ली। जबकि छठवें चरण में प्रवीण फिर सपा के मुतजबा से 719 मतों से आगे हो गए।
प्रशासन पर हरवाने का भी लगा आरोप
सपा के मुत्जबा और प्रवीण में कभी पांच सौ तो कभी सात सौ मतों से आगे -पीछे होने का सिलसिला लगा रहा। इसके बाद फूलपुर से मतों की गिनती में प्रवीण पटेल के पिछड़ने को लेकर भाजपा समर्थकों में मायूसी का भी माहौल रहा। लेकिन 22वें राउंड की गिनती में भाजपा के प्रवीण कुमार पटेल ने बढ़त बना ली और यह सिलसिला अंत तक बना रहा।
प्रयागराज जिले का फूलपुर क्षेत्र नेहरू परिवार के कारण हमेशा खास रहा है। लंबे समय बाद 2017 में मोदी लहर में इस सीट पर जनता ने पहली बार कमल खिलाया। तब इस सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की और प्रवीण पटेल टूसरी बार विधायक बने। तब उन्होंने सपा के मंसूर आलम को हराया था।
फूलपुर विधानसभा सीट से1991 में जनता पार्टी और 1993 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर रमाकांत यादव, 1996 और 2002 में कांग्रेस के रामनरेश यादव, 2007 में सपा के अरुण कुमार यादव विधायक चुने गए थे। जबकि, 2012 में सपा के सैय्यद अहमद विधानसभा चुनाव जीते थे।
फूलपुर विस सीट
जीत का अंतर- 2732
प्रवीण पटेल- भाजपा 103557 मत विजयी
मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी- सपा -100825 मत
राम तौलन यादव- बसपा- 33036 मत
सिद्धार्थ नाथ मौर्या- कांग्रेस- 1626 मत
अन्य प्रत्याशी: डॉ. अशोक मौर्या- 837, ताहीन अहमद-206, मृदुला सिंह- 805, राकेश कुमार- 313, राम सूरत पटेल-339, श्याम सुंदर पाल-682, सालिक राम-506, संदीप कुमार-245, भानु प्रताप सिंह-522, विमल कुमार गुप्ता-682, हरि लाल साहू-800, नोटा- 1548 ।