भाजपाइयों को मानना है कि केशव प्रसाद मौर्य को पुन : डिप्टी सीएम या कोई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी हाईकमान से लेकर संगठन तक डिप्टी सीएम को जिम्मेदारी के लिए मंथन शुरू हो गया है। शीघ्र ही इसके बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है। हालांकि सिराथू से हार के चलते कई सवाल भी उठने लगे हैं।
सिराथू विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद निवर्तमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी को प्रचंड जीत दिलाने वाले केशव प्रसाद मौर्य जहां सीएम पद की रेस में शामिल थे वहीं पांच साल बाद 2022 में उनके लिए डिप्टी सीएम पद को लेकर भी असमंजस की स्थित उत्पन्न हो गई है।
हालांकि उनके समर्थक और करीबी यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि भाजपा केशव प्रसाद के मेहनत को नजर अंदाज करेगी। भाजपाइयों को मानना है कि मौर्य को पुन : डिप्टी सीएम या कोई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी हाईकमान से लेकर संगठन तक डिप्टी सीएम को जिम्मेदारी के लिए मंथन शुरू हो गया है। शीघ्र ही इसके बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है। हालांकि सिराथू से हार के चलते कई सवाल भी उठने लगे हैं।
सोशल मीडिया पर चलाई जा रही मुहिम
विधान सभा चुनाव के दौरान सिराथू सीट पर केशव को भले ही पराजय का सामना करना पड़ा हो, लेकिन इस हार से उनका कद नहीं घटा है। समर्थक मान रहे हैं कि उन्हें फिर से बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। वहीं केशव के समर्थकों समेत भाजपाइयों ने उन्हें एक बार फिर से प्रदेश का डिप्टी सीएम बनाए जाने की मुहिम सोशल मीडिया के माध्यम से छेड़ दी है।
शनिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीके सिंह, पूर्व विधायक दीपक पटेल समेत तमाम भाजपाइयों ने लखनऊ जाकर केशव से मुलाकात भी की। साथ ही प्रदेश में भाजपा के प्रचंड बहुमत में उनकी उल्लेखनीय भूमिका के लिए बधाई भी दी।
पिछड़ी जाति के बड़े चेहरे हैं मौर्य
केशव मौर्य को लेकर कहा जा रहा है कि वह भाजपा में पिछड़ी जाति के प्रदेश के सबसे बड़े चेहरे हैं। वर्ष 2017 में उनकेे प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान ही भाजपा ने 300 से ज्यादा सीटें जीती। इसके पूर्व वर्ष 2014 में ही फूलपुर से सांसद का चुनाव केशव ने रिकार्ड मत से जीतकर वहां पहली बार कमल खिलाया था। इस बार भी विधानसभा चुनाव के दौरान डिप्टी सीएम ने प्रदेश के सभी जिलों में ताबड़तोड़ सभाएं कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया।
इन्हीं सब वजहों से माना जा रहा है कि पार्टी उनकी अनदेखी नहीं करेगी। चर्चा है कि भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में केशव मौर्य एक बार फिर से शपथ लेकर डिप्टी सीएम बनेंगे। उधर प्रदेश कार्य समिति सदस्य सुबोध सिंह, विक्रमाजीत सिंह भदौरिया समेत कई भाजपाइयों ने सोशल मीडिया के माध्यम से शीर्ष नेतृत्व से उन्हें एक बार फिर से डिप्टी सीएम बनाए जाने का आग्रह किया। भाजपा एमएलसी सुरेंद्र चौधरी आदि ने भी शनिवार को डिप्टी सीएम से मुलाकात की फोटो सोशल मीडिया में साझा की।
कौशांबी सांसद विनोद सोनकर की पांचों विधानसभा में पिछड़ी भाजपा
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार को लेकर चर्चा यही हो रही है कि उन्हें पार्टी की भितरघात भारी पड़ गई। चुनाव प्रचार के दौरान सभी नेताओं ने केशव के साथ मंच जरूर साझा किया, लेकिन अंदर ही अंदर खेल कुछ और चल रहा था।
कौशांबी संसदीय सीट से लगातार दो बार सांसद रहे विनोद सोनकर की बात करें तो उनके संसदीय क्षेत्र में आने वाली पांचों विधानसभा में भाजपा को हार मिली। बाबागंज में पार्टी प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा। यहां उसे 30391 मत मिले। इसी तरह कुंडा में भाजपा प्रत्याशी को महज 8.36 फीसदी मत मिले। चायल में 75609, मंझनपुर में 97628 मत भाजपाव गठबंधन सहयोगियों को मिले।
प्रयागराज में विजयी भाजपा के छह विधायकों से ज्यादा वोट मिले केशव को
डिप्टी सीएम को सिराथू विधानसभा सीट में 98941 मत मिले। केशव मौर्य जितने वोट पाकर हारे, उससे कम वोट पाकर प्रयागराज की छह सीटों पर भाजपा व गठबंधन से कुछ छह विधायक बन गए। हर्ष बाजपेयी, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, प्रवीण पटेल, गुरु प्रसाद मौर्य, वाचस्पति, पीयूष रंजन निषाद को केशव से कम मत मिले, लेकिन वह विधायक बन गए। सिर्फ सिद्धार्थ नाथ और प्रवीण पटेल के खाते में ही एक लाख से ज्यादा मत आए।
केशव के विधानसभा प्रभारी ने ली हार की जिम्मेदारी
डिप्टी सीएम केशव मौर्य के विधानसभा प्रभारी अरुण अग्रवाल ने शनिवार को सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी हार की नैतिक जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि लोग सिराथू की जनता को दोष न दें। जनता ने भरपूर सहयोग किया। सिराथू विधानसभा का प्रभारी होने की वजह से इस हार की नैतिक जिम्मेदारी मेरी है। मेरा पूरा प्रयास रहा कि मैं अपना सौ फीसदी दूं, फिर भी जाने अनजाने मेरे किसी कृत्य से किसी को आघात पहुंचा हो तो क्षमा चाहता हूं।
केशव का राजनीतिक भविष्य तय करेगा संघ और संगठन
भाजपा के कद्दावर पिछड़े वर्ग के नेता केशव प्रसाद मौर्य के सिराथू से चुनाव हारने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। बहरहाल यह माना जा रहा है कि केशव अभी विधान परिषद सदस्य हैं। ऐसे में केशव को योगी सरकार में जगह मिलेगी या उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय टीम में जिम्मेदारी दी जाएगी, इसका निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अगले सप्ताह तक करेगा।
केशव ने विश्व हिंदू परिषद के जरिए भाजपा की राजनीति में कदम रखा था। विहिप के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के करीबी रहे केशव को आरएसएस के सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सर सह कार्यवाह कृष्णगोपाल सहित अन्य नेताओं का भी करीबी माना जाता है। संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं के प्रयास से ही पिछड़े वर्ग के बीच केशव को पार्टी के चेहरे के रूप में पहचान स्थापित की गई।
सूत्रों के मुताबिक पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को ध्यान में रखकर ही केशव के मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा। दिल्ली में होने वाली बैठक में संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं के स्तर पर केशव को लेकर चर्चा की जाएगी।
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सिराथू विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद निवर्तमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी को प्रचंड जीत दिलाने वाले केशव प्रसाद मौर्य जहां सीएम पद की रेस में शामिल थे वहीं पांच साल बाद 2022 में उनके लिए डिप्टी सीएम पद को लेकर भी असमंजस की स्थित उत्पन्न हो गई है।
हालांकि उनके समर्थक और करीबी यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि भाजपा केशव प्रसाद के मेहनत को नजर अंदाज करेगी। भाजपाइयों को मानना है कि मौर्य को पुन : डिप्टी सीएम या कोई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी हाईकमान से लेकर संगठन तक डिप्टी सीएम को जिम्मेदारी के लिए मंथन शुरू हो गया है। शीघ्र ही इसके बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है। हालांकि सिराथू से हार के चलते कई सवाल भी उठने लगे हैं।