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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 16 Mar 2022 10:01 PM IST
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को भर और राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के संबंध में दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने जागो राजभर जागो समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को भर और राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के संबंध में दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने जागो राजभर जागो समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची की ओर से तर्क दिया गया कि उत्तर प्रदेश के राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने केलिए एक विधायक के माध्यम से केंद्र सरकार के समक्ष मामले को उठाया गया था। मामले में केंद्र सरकार ने 11 अक्तूबर 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कहा कि इस मामले को तब तक हल नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उत्तर प्रदेश सरकार भर व राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में नहीं रखती है।
याची की ओर से उपयुक्त प्राधिकारी से नहीं किया गया संपर्क
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से यह कहीं नहीं पता चल रहा है कि याची की ओर से इस मामले में राज्य सरकार के उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क किया गया हो। केंद्र सरकार को एक विधायक के जरिये याचियों की ओर से भेजे गए मांगपत्र को पहुंचाया गया।
जवाब में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को अग्रेषित कर दिया। मामला लटका हुआ है। ऐसी परिस्थिति में याचिका को लटकाए रखने में कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। लिहाजा, उत्तर प्रदेश सरकार मामले को दो महीने में निस्तारित करे। इस निर्देश के साथ ही हाईकोर्ट ने इस याचिका को निस्तारित कर दिया।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को भर और राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के संबंध में दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने जागो राजभर जागो समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची की ओर से तर्क दिया गया कि उत्तर प्रदेश के राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने केलिए एक विधायक के माध्यम से केंद्र सरकार के समक्ष मामले को उठाया गया था। मामले में केंद्र सरकार ने 11 अक्तूबर 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कहा कि इस मामले को तब तक हल नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उत्तर प्रदेश सरकार भर व राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में नहीं रखती है।
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