न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Thu, 31 Mar 2022 10:07 AM IST
डीआईजी ने बताया कि शपथ पत्र पर दंगाइयों के भी नाम लिखे थे। एक एक कर उनका सत्यापन किया गया। वहीं जिन गवाहों के नाम लिखे थे उनसे संपर्क किया गया। सभी के बयान कराए गए।
सिख विरोधी दंगों के केसों की विवेचना करने और दंगाइयों को बेनकाब करने में रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट सबसे कारगर साबित हुई है। रिपोर्ट से मिले 135 शपथ पत्रों में एक-एक जानकारी दर्ज मिली। ये जानकारी 37 साल पहले दंगों के बाद पीड़ित परिवारों व गवाहों ने शपथ पत्र के जरिये आयोग दी थी।
इसमें दंगाइयों के नाम भी लिखे हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की हत्या के बाद 1984 में कानपुर में दंगे हुए थे, जिसमें 127 लोगों की हत्या कर दी गई थी। एसआईटी 11 केसों की विवेचना लगभग पूरी कर चुकी है। एसआईटी के डीआईजी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि दंगों के बाद रंगनाथ मिश्र आयोग का गठन हुआ था।
आयोग ने दंगों की जांच की थी। इसलिए एसआईटी ने जब जांच शुरू की तो गृह मंत्रालय की अनुमति से आयोग की रिपोर्ट को जांच में शामिल किया गया। रिपोर्ट में कुल 657 शपथ पत्र थे। दंगा पीड़ितों ने जांच के दौरान बयान दिए थे। इसमें एसआईटी की जांच से संबंधित 135 शपथ पत्र मिले। डीआईजी के मुताबिक इससेे विवेचना बहुत आसान हो गई।
सत्यापन कर दंगाइयों का राजफाश किया
डीआईजी ने बताया कि शपथ पत्र पर दंगाइयों के भी नाम लिखे थे। एक-एक कर उनका सत्यापन किया गया। वहीं जिन गवाहों के नाम लिखे थे उनसे संपर्क किया गया। सभी के बयान कराए गए। हालांकि शपथ पत्र देने वालों में से कइयों की मौत भी हो चुकी है। इसके बावजूद पूरी जानकारी एसआईटी के काम आई।
घटना स्थल की होगी जांच
एसआईटी पंजाब में दो सप्ताह तक रहकर छानबीन की है। एक दर्जन से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं। चार केसों से संबंधित जानकारियां मिली हैं। एसआईटी के सब इंस्पेक्टर एसपी सिंह ने बताया कि जो जानकारी मिली है उसका सत्यापन किया जाएगा। घटनास्थल का भी मुआयना होगा। वहीं एक अन्य टीम काकादेव से संबंधित केसों की विवेचना के लिए जल्द ही पंजाब रवाना होगी।
विस्तार
सिख विरोधी दंगों के केसों की विवेचना करने और दंगाइयों को बेनकाब करने में रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट सबसे कारगर साबित हुई है। रिपोर्ट से मिले 135 शपथ पत्रों में एक-एक जानकारी दर्ज मिली। ये जानकारी 37 साल पहले दंगों के बाद पीड़ित परिवारों व गवाहों ने शपथ पत्र के जरिये आयोग दी थी।
इसमें दंगाइयों के नाम भी लिखे हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की हत्या के बाद 1984 में कानपुर में दंगे हुए थे, जिसमें 127 लोगों की हत्या कर दी गई थी। एसआईटी 11 केसों की विवेचना लगभग पूरी कर चुकी है। एसआईटी के डीआईजी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि दंगों के बाद रंगनाथ मिश्र आयोग का गठन हुआ था।
आयोग ने दंगों की जांच की थी। इसलिए एसआईटी ने जब जांच शुरू की तो गृह मंत्रालय की अनुमति से आयोग की रिपोर्ट को जांच में शामिल किया गया। रिपोर्ट में कुल 657 शपथ पत्र थे। दंगा पीड़ितों ने जांच के दौरान बयान दिए थे। इसमें एसआईटी की जांच से संबंधित 135 शपथ पत्र मिले। डीआईजी के मुताबिक इससेे विवेचना बहुत आसान हो गई।