दिल्ली बनाम यूपी: केजरीवाल के एजुकेशन मॉडल को कैसे टक्कर देगी भाजपा, कितना कारगर साबित होगा योगी सरकार का यह प्रयोग?

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सार

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला से कहा कि अरविंद केजरीवाल का शिक्षा मॉडल केवल टोकेनिज्म (प्रतीकवाद) पर आधारित है। वे चंद स्कूलों को बेहतर कर इनका मीडिया में प्रचार करवाकर अपनी वाहवाही लूटने का प्रयास करते हैं, जबकि उसी दिल्ली में दूसरे स्कूलों की स्थिति खराब है और सरकार उनमें कोई सुधार नहीं कर पाई है…

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को दिल्ली के सरकारी स्कूलों का दौरा किया। उन्होंने केजरीवाल सरकार में स्कूलों के बेहतरीन प्रबंधन की जमकर तारीफ की। स्टालिन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने गरीब बच्चों के लिए विश्वस्तरीय शिक्षा की व्यवस्था की है। वे चेन्नई में भी इसी तरह के स्कूल बनाएंगे और सीएम केजरीवाल को उसके उद्घाटन में बुलाएंगे। स्टालिन की तरह कई अन्य नेता भी दिल्ली के स्कूलों का दौरा कर उसकी प्रशंसा कर चुके हैं। इसे ‘केजरीवाल मॉडल ऑफ पॉलिटिक्स’ कहा जा रहा है।

अरविंद केजरीवाल जिन राज्यों में भी अपना पैर पसारने की कोशिश करते हैं, वहां इन्हीं मुद्दों के सहारे विपक्ष को घेरने की कोशिश करते हैं। पंजाब से लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश तक में उन्होंने इसे ही अपना हथियार बनाया। आम आदमी पार्टी का मानना है कि भाजपा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के जिस उग्र संवेदनशील मुद्दों को आधार बनाकर अपनी राजनीति आगे बढ़ाती है, वे कुछ दिन तो चल सकते हैं, लेकिन जल्द ही लोग शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूल मुद्दों को ही प्राथमिकता देंगे।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भाजपा के पास केजरीवाल के इस शिक्षा मॉडल का जवाब देने के लिए क्या है?

भाजपा का प्लान

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला से कहा कि अरविंद केजरीवाल का शिक्षा मॉडल केवल टोकेनिज्म (प्रतीकवाद) पर आधारित है। वे चंद स्कूलों को बेहतर कर इनका मीडिया में प्रचार करवाकर अपनी वाहवाही लूटने का प्रयास करते हैं, जबकि उसी दिल्ली में दूसरे स्कूलों की स्थिति खराब है और सरकार उनमें कोई सुधार नहीं कर पाई है। दिल्ली के अनेक सरकारी स्कूलों में अभी भी प्रिंसिपल और अध्यापक तक उपलब्ध नहीं हैं।  

वहीं उत्तर प्रदेश में, जहां दिल्ली से लगभग 10 गुना ज्यादा आबादी निवास करती है और दिल्ली से कई हजार गुना ज्यादा स्कूल हैं, सभी स्कूलों को एक साथ ठीक करना संभव नहीं है। सरकार लगातार शिक्षा का स्तर सुधारने का प्रयास कर रही है और इसका बड़ा असर जमीन पर दिखाई भी प़ड़ रहा है।  

भाजपा नेता ने कहा कि यदि दिल्ली की तरह के बेहतर स्कूलों की बात करें, तो भी उत्तर प्रदेश के हर जिले में विशेष स्कूल विकसित किए गए हैं, जिन्हें आदर्श स्कूलों की तरह विकसित किया गया है। इनमें बच्चों को आवासीय सुविधा के साथ बेहतर शिक्षा दी जा रही है। आने वाले समय में इस तरह के विशेष स्कूलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।   

योगी ने यहां से की थी शुरुआत

सीएम योगी आदित्यनाथ ने जब 2017 में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया था, तब प्रदेश में कुल एक लाख 58 हजार 839 प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय थे। इनकी व्यवस्था बेहद जर्जर थी। बच्चों को बैठने के लिए भूमि का ही सहारा था। स्कूल में बाउंड्री वॉल और टॉयलेट तक उपलब्ध नहीं थे। इससे ग्रामीण माता-पिता अपने बच्चों, विशेषकर बेटियों को, स्कूल नहीं भेजना चाहते थे।

लेकिन योगी सरकार ने इस पर काफी काम किया और आज लगभग सभी स्कूलों में टॉयलेट बन चुके हैं। ज्यादातर स्कूलों में बाउंड्री वाल बन चुकी है। सरकार की प्राधमिकता है कि कोई भी बच्चा अब स्कूल से दूर न रह जाए।

कायाकल्प योजना का विस्तार

यूपी सरकार ने स्कूलों के कायाकल्प योजना की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत स्कूलों को बेहतर किए जाने का प्रयास किया गया। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विधायकों को प्रति वर्ष एक-एक स्कूल गोद लेकर उन्हें आदर्श स्कूल की तरह विकसित करने का निर्देश दिया है। इसका असर भी जल्द दिखाई पड़ेगा। भाजपा इन स्कूलों के सहारे दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल को टक्कर देने की तैयारी कर रही है।

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विस्तार

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को दिल्ली के सरकारी स्कूलों का दौरा किया। उन्होंने केजरीवाल सरकार में स्कूलों के बेहतरीन प्रबंधन की जमकर तारीफ की। स्टालिन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने गरीब बच्चों के लिए विश्वस्तरीय शिक्षा की व्यवस्था की है। वे चेन्नई में भी इसी तरह के स्कूल बनाएंगे और सीएम केजरीवाल को उसके उद्घाटन में बुलाएंगे। स्टालिन की तरह कई अन्य नेता भी दिल्ली के स्कूलों का दौरा कर उसकी प्रशंसा कर चुके हैं। इसे ‘केजरीवाल मॉडल ऑफ पॉलिटिक्स’ कहा जा रहा है।

अरविंद केजरीवाल जिन राज्यों में भी अपना पैर पसारने की कोशिश करते हैं, वहां इन्हीं मुद्दों के सहारे विपक्ष को घेरने की कोशिश करते हैं। पंजाब से लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश तक में उन्होंने इसे ही अपना हथियार बनाया। आम आदमी पार्टी का मानना है कि भाजपा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के जिस उग्र संवेदनशील मुद्दों को आधार बनाकर अपनी राजनीति आगे बढ़ाती है, वे कुछ दिन तो चल सकते हैं, लेकिन जल्द ही लोग शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूल मुद्दों को ही प्राथमिकता देंगे।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भाजपा के पास केजरीवाल के इस शिक्षा मॉडल का जवाब देने के लिए क्या है?

भाजपा का प्लान

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला से कहा कि अरविंद केजरीवाल का शिक्षा मॉडल केवल टोकेनिज्म (प्रतीकवाद) पर आधारित है। वे चंद स्कूलों को बेहतर कर इनका मीडिया में प्रचार करवाकर अपनी वाहवाही लूटने का प्रयास करते हैं, जबकि उसी दिल्ली में दूसरे स्कूलों की स्थिति खराब है और सरकार उनमें कोई सुधार नहीं कर पाई है। दिल्ली के अनेक सरकारी स्कूलों में अभी भी प्रिंसिपल और अध्यापक तक उपलब्ध नहीं हैं।  

वहीं उत्तर प्रदेश में, जहां दिल्ली से लगभग 10 गुना ज्यादा आबादी निवास करती है और दिल्ली से कई हजार गुना ज्यादा स्कूल हैं, सभी स्कूलों को एक साथ ठीक करना संभव नहीं है। सरकार लगातार शिक्षा का स्तर सुधारने का प्रयास कर रही है और इसका बड़ा असर जमीन पर दिखाई भी प़ड़ रहा है।  

भाजपा नेता ने कहा कि यदि दिल्ली की तरह के बेहतर स्कूलों की बात करें, तो भी उत्तर प्रदेश के हर जिले में विशेष स्कूल विकसित किए गए हैं, जिन्हें आदर्श स्कूलों की तरह विकसित किया गया है। इनमें बच्चों को आवासीय सुविधा के साथ बेहतर शिक्षा दी जा रही है। आने वाले समय में इस तरह के विशेष स्कूलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।   

योगी ने यहां से की थी शुरुआत

सीएम योगी आदित्यनाथ ने जब 2017 में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया था, तब प्रदेश में कुल एक लाख 58 हजार 839 प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय थे। इनकी व्यवस्था बेहद जर्जर थी। बच्चों को बैठने के लिए भूमि का ही सहारा था। स्कूल में बाउंड्री वॉल और टॉयलेट तक उपलब्ध नहीं थे। इससे ग्रामीण माता-पिता अपने बच्चों, विशेषकर बेटियों को, स्कूल नहीं भेजना चाहते थे।

लेकिन योगी सरकार ने इस पर काफी काम किया और आज लगभग सभी स्कूलों में टॉयलेट बन चुके हैं। ज्यादातर स्कूलों में बाउंड्री वाल बन चुकी है। सरकार की प्राधमिकता है कि कोई भी बच्चा अब स्कूल से दूर न रह जाए।

कायाकल्प योजना का विस्तार

यूपी सरकार ने स्कूलों के कायाकल्प योजना की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत स्कूलों को बेहतर किए जाने का प्रयास किया गया। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विधायकों को प्रति वर्ष एक-एक स्कूल गोद लेकर उन्हें आदर्श स्कूल की तरह विकसित करने का निर्देश दिया है। इसका असर भी जल्द दिखाई पड़ेगा। भाजपा इन स्कूलों के सहारे दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल को टक्कर देने की तैयारी कर रही है।

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