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अमर उजाला ब्यूरो, आगरा
Published by: मुकेश कुमार
Updated Fri, 08 Apr 2022 06:42 PM IST
सार
सुबह 5:00 बजे से सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के विरोध में सफाई कर्मचारियों के संगठनों ने कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा। नए आदेश को वापस लेने की मांग की।
आगरा में सुबह 5:00 बजे से सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने का विरोध जारी है। बीते दिन तालाबंदी करने के बाद शुक्रवार को सफाई कर्मी कलक्ट्रेट में फिर एकजुट हुए। सफाई कर्मचारियों ने कहा कि सफाई कार्य का नया समय व्यावहारिक नहीं हैं। सफाई कार्य में करीब 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं। नए समय के हिसाब से महिलाएं अपने बच्चों को सुबह भी नहीं भेज पा रही हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य सफाई कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष चौधरी संतोष वाल्मीकि के नेतृत्व में सफाईकर्मी कलक्ट्रेट पर एकजुट हुए। सफाई कार्य के लिए नया समय सुबह पांच बजे लागू किए जाने की व्यवस्था का विरोध करते हुए नगर विकास मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। वहां मौजूद अधिकारियों से कहा कि नगर विकास मंत्री जल्द ही नए आदेश को वापस लें। सफाई कर्मचारी भी एक आम इंसान है, उनका भी अपना परिवार है।
सफाई कर्मचारियों में महिलाएं भी शामिल हैं। उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने में कठिनाई हो रही है। सुबह कार्य स्थल पहुंचने के लिए सवारी वाहन भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। ऐसे आदेश पारित करने से पहले सरकार को इसका व्यवहारिक पहलू देखना चाहिए। समय रहते आदेश वापस नहीं लिया गया तो कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
विस्तार
आगरा में सुबह 5:00 बजे से सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने का विरोध जारी है। बीते दिन तालाबंदी करने के बाद शुक्रवार को सफाई कर्मी कलक्ट्रेट में फिर एकजुट हुए। सफाई कर्मचारियों ने कहा कि सफाई कार्य का नया समय व्यावहारिक नहीं हैं। सफाई कार्य में करीब 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं। नए समय के हिसाब से महिलाएं अपने बच्चों को सुबह भी नहीं भेज पा रही हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य सफाई कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष चौधरी संतोष वाल्मीकि के नेतृत्व में सफाईकर्मी कलक्ट्रेट पर एकजुट हुए। सफाई कार्य के लिए नया समय सुबह पांच बजे लागू किए जाने की व्यवस्था का विरोध करते हुए नगर विकास मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। वहां मौजूद अधिकारियों से कहा कि नगर विकास मंत्री जल्द ही नए आदेश को वापस लें। सफाई कर्मचारी भी एक आम इंसान है, उनका भी अपना परिवार है।
सफाई कर्मचारियों में महिलाएं भी शामिल हैं। उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने में कठिनाई हो रही है। सुबह कार्य स्थल पहुंचने के लिए सवारी वाहन भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। ऐसे आदेश पारित करने से पहले सरकार को इसका व्यवहारिक पहलू देखना चाहिए। समय रहते आदेश वापस नहीं लिया गया तो कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
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