विकास कार्य रुके

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उन्नाव। जनहित में शुरू की गईं करोड़ों की परियोजनाएं वर्षों बाद भी मूर्तरूप नहीं ले सकी हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी का नतीजा है कि सुगम, सुरक्षित यातायात के लिए बाईपास का निर्माण छह साल बाद भी अधर में है। वहीं सिंचाई के लिए डौंडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर योजना में सात साल बाद भी नया पंप हाउस चालू नहीं हो सका है। इससे किसानों के सामने सिंचाई का संकट है।
वन विभाग की जमीन का रोड़ा फंसा
छह साल पहले मंजूर हुआ शहर में एक और बाईपास धरातल पर नहीं उतर सका है। अभी तक निर्माण कागजी कार्रवाई में ही उलझा है। उन्नाव-हरदोई मार्ग पर दोस्तीनगर अग्निशमन प्रशिक्षण महाविद्यालय के सामने से लखनऊ कानपुर हाईवे पर दही चौकी तक 9.5 किमी लंबे बाईपास निर्माण की 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घोषणा की थी। इसके बनने से शहर के भीतर भारी वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती और हादसों पर भी रोक लगती। इस मार्ग के निर्माण से हरदोई, कन्नौज, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, दिल्ली सहित अन्य जिलों से आने वाले वाहनों को शहर के बाहर से ही लखनऊ-कानपुर हाईवे पर निकालने की व्यवस्था थी। सरकार ने 43.32 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कर दिया था। पहली किस्त के रूप में 1.25 करोड़ रुपये भी जारी हो गए थे।
हालांकि परियोजना अमलीजामा पहनती उससे पहले वन विभाग की जमीन का रोड़ा फंस गया। रोड निर्माण में वन विभाग की 7.5 हेक्टेअर जमीन आ रही थी। प्रशासन ने वन विभाग को जमीन के बदले जमीन देने के मसौदे के तहत बांगरमऊ तहसील के रानीपुर ग्रंट गांव में 7.5 हेक्टेअर जमीन देने के लिए कहा लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ सका। पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता हरदयाल अहरवार ने बताया कि वन विभाग को भूमि देने संबंधी कई पत्र प्रशासन को भेजे जा चुके हैं। जब तक वन विभाग से भूमि का अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा तब तक योजना आगे नहीं बढ़ पाएगी।
सिंचाई परियोजना के पुन: मूल्यांकन के प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार
सिंचाई की समस्या को देखते हुए1985-86 में डौंडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर योजना पर काम शुरू हुआ था। 300 क्यूसेक क्षमता की नहर पर मोटर बोट पर सात पंप रखे गए थे। पंप निर्माण के बाद जिले के अलावा रायबरेली क्षेत्र के कई गांवों के किसानों को लाभ मिला। हालांकि परियोजना की मियाद 15 वर्ष की थी लेकिन जब 25 साल योजना चल गई तो सरकार ने 2010 में 21 करोड़ रुपये जारी करके स्थायी नहर पंप बनाने की स्वीकृति दी।
पुन: स्थापना का कार्य 19 जनवरी 2012 को शुरू हुआ जो 18 सितंबर 2014 को पूरा हो जाना था लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है। नया पंप हाउस सालों बाद भी शुरू नहीं हो सका है। वर्तमान में काम बंद चल रहा है। बोट पर पंप रखे हैं। जगह-जगह घासफूस उगी हुई है। पंप न चलने से कल्याणपुर, नानमऊ, जगतपुर, धनकोली आदि गांवों में सिंचाई के लिए मारामारी है। कभी इन गांवों में नहर का पर्याप्त पानी मिलता था लेकिन लंबे समय से किसान सिंचाई के लिए तरस रहे हैं। सिंचाई विभाग शारदा खंड के एक्सईएन शैलेश कुमार ने बताया कि परियोजना को पूरा करने के लिए फिर से मूल्यांकन का प्रस्ताव भेजा गया था। अभी शासन से मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसी कारण काम बंद चल रहा है।

डौडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर परियोजना में गंगा किनारे मोटर मोटर बोट पर उगी झाड़

डौडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर परियोजना में गंगा किनारे मोटर मोटर बोट पर उगी झाड़– फोटो : UNNAO

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उन्नाव। जनहित में शुरू की गईं करोड़ों की परियोजनाएं वर्षों बाद भी मूर्तरूप नहीं ले सकी हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी का नतीजा है कि सुगम, सुरक्षित यातायात के लिए बाईपास का निर्माण छह साल बाद भी अधर में है। वहीं सिंचाई के लिए डौंडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर योजना में सात साल बाद भी नया पंप हाउस चालू नहीं हो सका है। इससे किसानों के सामने सिंचाई का संकट है।

वन विभाग की जमीन का रोड़ा फंसा

छह साल पहले मंजूर हुआ शहर में एक और बाईपास धरातल पर नहीं उतर सका है। अभी तक निर्माण कागजी कार्रवाई में ही उलझा है। उन्नाव-हरदोई मार्ग पर दोस्तीनगर अग्निशमन प्रशिक्षण महाविद्यालय के सामने से लखनऊ कानपुर हाईवे पर दही चौकी तक 9.5 किमी लंबे बाईपास निर्माण की 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घोषणा की थी। इसके बनने से शहर के भीतर भारी वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती और हादसों पर भी रोक लगती। इस मार्ग के निर्माण से हरदोई, कन्नौज, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, दिल्ली सहित अन्य जिलों से आने वाले वाहनों को शहर के बाहर से ही लखनऊ-कानपुर हाईवे पर निकालने की व्यवस्था थी। सरकार ने 43.32 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कर दिया था। पहली किस्त के रूप में 1.25 करोड़ रुपये भी जारी हो गए थे।

हालांकि परियोजना अमलीजामा पहनती उससे पहले वन विभाग की जमीन का रोड़ा फंस गया। रोड निर्माण में वन विभाग की 7.5 हेक्टेअर जमीन आ रही थी। प्रशासन ने वन विभाग को जमीन के बदले जमीन देने के मसौदे के तहत बांगरमऊ तहसील के रानीपुर ग्रंट गांव में 7.5 हेक्टेअर जमीन देने के लिए कहा लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ सका। पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता हरदयाल अहरवार ने बताया कि वन विभाग को भूमि देने संबंधी कई पत्र प्रशासन को भेजे जा चुके हैं। जब तक वन विभाग से भूमि का अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा तब तक योजना आगे नहीं बढ़ पाएगी।

सिंचाई परियोजना के पुन: मूल्यांकन के प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार

सिंचाई की समस्या को देखते हुए1985-86 में डौंडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर योजना पर काम शुरू हुआ था। 300 क्यूसेक क्षमता की नहर पर मोटर बोट पर सात पंप रखे गए थे। पंप निर्माण के बाद जिले के अलावा रायबरेली क्षेत्र के कई गांवों के किसानों को लाभ मिला। हालांकि परियोजना की मियाद 15 वर्ष की थी लेकिन जब 25 साल योजना चल गई तो सरकार ने 2010 में 21 करोड़ रुपये जारी करके स्थायी नहर पंप बनाने की स्वीकृति दी।

पुन: स्थापना का कार्य 19 जनवरी 2012 को शुरू हुआ जो 18 सितंबर 2014 को पूरा हो जाना था लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है। नया पंप हाउस सालों बाद भी शुरू नहीं हो सका है। वर्तमान में काम बंद चल रहा है। बोट पर पंप रखे हैं। जगह-जगह घासफूस उगी हुई है। पंप न चलने से कल्याणपुर, नानमऊ, जगतपुर, धनकोली आदि गांवों में सिंचाई के लिए मारामारी है। कभी इन गांवों में नहर का पर्याप्त पानी मिलता था लेकिन लंबे समय से किसान सिंचाई के लिए तरस रहे हैं। सिंचाई विभाग शारदा खंड के एक्सईएन शैलेश कुमार ने बताया कि परियोजना को पूरा करने के लिए फिर से मूल्यांकन का प्रस्ताव भेजा गया था। अभी शासन से मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसी कारण काम बंद चल रहा है।

डौडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर परियोजना में गंगा किनारे मोटर मोटर बोट पर उगी झाड़

डौडियाखेड़ा में चौधरी चरण सिंह डलमऊ बी पंप नहर परियोजना में गंगा किनारे मोटर मोटर बोट पर उगी झाड़– फोटो : UNNAO

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