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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 14 Apr 2022 09:03 PM IST
सार
कोर्ट ने कहा कि याची ओर से कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं आया कि वह कहीं और रहता था या कहीं और काम करता था और रात को अपराध स्थल पर मौजूद नहीं था। मामले में अभियोजन पक्ष के मुताबिक वादी मुकदमा की बड़ी बहन बांसों बाई की शादी घटना से 12 साल पहले हुई थी।
पीलीभीत के हजारे थाने में 28 जून 2004 को दर्ज पत्नी की हत्या के मामले में पति चरन सिंह को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाए गई उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि याची अपनी बेगुनाही साबित करने में नाकाम रहा है। वह अपने बचाव में कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं रख सका। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा व न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने चरन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याची ओर से कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं आया कि वह कहीं और रहता था या कहीं और काम करता था और रात को अपराध स्थल पर मौजूद नहीं था। मामले में अभियोजन पक्ष के मुताबिक वादी मुकदमा की बड़ी बहन बांसों बाई की शादी घटना से 12 साल पहले हुई थी। दोनों के पांच बेटियां और एक बेटा है। आरोप था कि याची पत्नी के साथ अमानवीय व्यवहार करता था।
घटना वाली रात से पहले दोनों में झगड़ा हुआ था। उसके पड़ोसी दर्शन सिंह व परसा सिंह ने याची को पत्नी का गला घोटते हुए देखा। जब तक वह पीड़िता को बचा पाते वह मर चुकी थी और याची भाग चुका था। निचली अदालत ने याची को दोषी पाया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि याची कोई ठोस तथ्य और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। इस आधार पर कोर्ट ने याची की याचिका को खारिज कर दिया।
विस्तार
पीलीभीत के हजारे थाने में 28 जून 2004 को दर्ज पत्नी की हत्या के मामले में पति चरन सिंह को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाए गई उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि याची अपनी बेगुनाही साबित करने में नाकाम रहा है। वह अपने बचाव में कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं रख सका। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा व न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने चरन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याची ओर से कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं आया कि वह कहीं और रहता था या कहीं और काम करता था और रात को अपराध स्थल पर मौजूद नहीं था। मामले में अभियोजन पक्ष के मुताबिक वादी मुकदमा की बड़ी बहन बांसों बाई की शादी घटना से 12 साल पहले हुई थी। दोनों के पांच बेटियां और एक बेटा है। आरोप था कि याची पत्नी के साथ अमानवीय व्यवहार करता था।
घटना वाली रात से पहले दोनों में झगड़ा हुआ था। उसके पड़ोसी दर्शन सिंह व परसा सिंह ने याची को पत्नी का गला घोटते हुए देखा। जब तक वह पीड़िता को बचा पाते वह मर चुकी थी और याची भाग चुका था। निचली अदालत ने याची को दोषी पाया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि याची कोई ठोस तथ्य और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। इस आधार पर कोर्ट ने याची की याचिका को खारिज कर दिया।
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