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अमर उजाला ब्यूरो, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sat, 16 Apr 2022 07:00 PM IST
सार
प्रधानमंत्री और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ अधिवक्ता ने 23 नवंबर 2021 को सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। जिसमें राष्ट्रद्रोह और मानहानि का आरोप लगाया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ राष्ट्रद्रोह और मानहानि के तहत दायर वाद विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) अर्जुन ने खारिज कर दिया है। राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने 23 नवंबर 2021 को कोर्ट में वाद दर्ज करने को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था।
इस वाद में कहा था कि 17 नवंबर 2021 को समाचार पत्रों में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत के प्रति अमर्यादित टिप्पणी को पढ़ा। इसमें आजादी भीख में मिली और अहिंसात्मक सिद्धांत का उपहास उड़ाया गया था। अभिनेत्री ने कहा था कि चांटा खाने से भीख मिलती है, आजादी नहीं। प्रधानमंत्री को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी थी। उन्होंने ऐसा न कर अपने कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व का पालन नहीं किया।
मामले में वादी अधिवक्ता ने 15 दिसंबर 2021 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की आदालत में अपने बयान दर्ज कराए थे। इसके अलावा अधिवक्ता रामदत्त दिवाकर एवं राजेंद्र गुप्ता धीरज के बयान कोर्ट ने दर्ज किए। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) अर्जुन ने पत्रावली के अवलोकन के बाद पेप्सी फूड्स लिमिटेड बनाम स्पेशल न्यायिक मजिस्ट्रेट 1998 और पंजाब नेशनल बैंक बनाम सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा की नजीर का आधार लेते हुए वाद को खारिज करने के आदेश किए।
कथन किया कि परिवादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने वाद में यह नहीं स्पष्ट किया कि कंगना रनौत के वक्तव्य से किस प्रकार मानहानि हुई। आरोपी ने वादी के खिलाफ कोई भी अपमानजनक तथ्य नहीं कहा। कंगना रनौत का कथन मात्र वक्तव्य है। उसको इस संदर्भ में ग्रहण नहीं किया जा सकता कि उनका उद्देश्य वादी अधिवक्ता की मानहानि करना है।
सेशन कोर्ट में रिवीजन दाखिल करेंगे
वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने कहा कि मामला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत, स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों और देशभक्त शहीदों के अपमान का है। वो अब सेशन कोर्ट में रिवीजन दाखिल करेंगे।
विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ राष्ट्रद्रोह और मानहानि के तहत दायर वाद विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) अर्जुन ने खारिज कर दिया है। राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने 23 नवंबर 2021 को कोर्ट में वाद दर्ज करने को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था।
इस वाद में कहा था कि 17 नवंबर 2021 को समाचार पत्रों में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत के प्रति अमर्यादित टिप्पणी को पढ़ा। इसमें आजादी भीख में मिली और अहिंसात्मक सिद्धांत का उपहास उड़ाया गया था। अभिनेत्री ने कहा था कि चांटा खाने से भीख मिलती है, आजादी नहीं। प्रधानमंत्री को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी थी। उन्होंने ऐसा न कर अपने कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व का पालन नहीं किया।
मामले में वादी अधिवक्ता ने 15 दिसंबर 2021 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की आदालत में अपने बयान दर्ज कराए थे। इसके अलावा अधिवक्ता रामदत्त दिवाकर एवं राजेंद्र गुप्ता धीरज के बयान कोर्ट ने दर्ज किए। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) अर्जुन ने पत्रावली के अवलोकन के बाद पेप्सी फूड्स लिमिटेड बनाम स्पेशल न्यायिक मजिस्ट्रेट 1998 और पंजाब नेशनल बैंक बनाम सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा की नजीर का आधार लेते हुए वाद को खारिज करने के आदेश किए।
कथन किया कि परिवादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने वाद में यह नहीं स्पष्ट किया कि कंगना रनौत के वक्तव्य से किस प्रकार मानहानि हुई। आरोपी ने वादी के खिलाफ कोई भी अपमानजनक तथ्य नहीं कहा। कंगना रनौत का कथन मात्र वक्तव्य है। उसको इस संदर्भ में ग्रहण नहीं किया जा सकता कि उनका उद्देश्य वादी अधिवक्ता की मानहानि करना है।
सेशन कोर्ट में रिवीजन दाखिल करेंगे
वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने कहा कि मामला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत, स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों और देशभक्त शहीदों के अपमान का है। वो अब सेशन कोर्ट में रिवीजन दाखिल करेंगे।
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